
33 साल की कानूनी प्रक्रिया के बाद आया कार्रवाई का नंबर
रक्षा संपदा अधिकारी ने जिला प्रशासन से कार्रवाई के लिए मांगा पुलिस बल व मजिस्ट्रेट
छावनी क्षेत्र में काली पलटन मार्ग पर बंगले में संचालित हो रही ऋषभ एकेडमी में अवैध निर्माण के मामले में 33 साल की कानूनी प्रक्रिया के बाद ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया गया है। रक्षा संपदा अधिकारी ने इस कार्रवाई के लिए 15 जनवरी की तिथि निर्धारित करते हुए जिला प्रशासन से पुलिस बल और मजिस्ट्रेट की मांग की है। वर्ष 1992 में निर्माण के दौरान स्टेट आफिसर द्वारा नोटिस जारी किया गया था।
17 जुलाई 1992 में शुरू हुई कार्रवाई
रक्षा संपदा अधिकारी द्वारा जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र के मुताबिक छावनी क्षेत्र में वेस्ट एंड रोड से औघड़नाथ मंदिर को जाने वाले मार्ग पर बंगला संख्या 215 ए में स्थित ऋषभ एकेडमी में वर्ष 1992 में अगले हिस्से का निर्माण किया जा रहा था। उसी समय रक्षा संपदा कार्यालय के स्टेट आफिसर द्वारा सरदार मनमोहन सिंह के नाम नोटिस जारी किया गया था। जिस पर श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर समिति सदर दुर्गाबाड़ी समिति के सचिव दिनेश चंद्र जैन ने दावा किया था कि उक्त संपत्ति मंदिर समिति ने खरीद ली है। जिस पर स्टेट आफिसर द्वारा 18 जून 2001 को पुराने नोटिस को निरस्त करके ध्वस्तीकरण नोटिस जारी किया था। जिसके विरुद्ध सचिव दिनेश चंद्र जैन ने स्थानीय सिविल न्यायालय में अपील की थी। वहां से उन्हें स्थगनादेश प्राप्त हुआ था। वर्ष 2014 में यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया। तभी से लंबित था। अब हाईकोर्ट ने यह याचिका निस्तारित कर दी है। जिसके बाद जनपद न्यायाधीश के न्यायालय में भी मंदिर समिति की अपील 26 नवंबर 2024 को निरस्त हो गई। जिसके बाद स्टेट आफिसर के आदेश का पालन करने का रास्ता साफ हो गया है।
ध्वस्तीकरण के लिए तिथि निर्धारित रक्षा संपदा अधिकारी ने इस निर्माण के विरुद्ध कार्रवाई के लिए 15 जनवरी निर्धारित की है। इस कार्रवाई के लिए उन्होंने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर मजिस्ट्रेट व एसएसपी से पुलिस बल की मांग की है। छावनी परिषद के सीईओ को भी उन्होंने कार्रवाई के दौरान अपने प्रतिनिधि व कर्मचारियों के साथ मौजूद रहने के लिए कहा है।
गलत नाम से था मुकदमा, रिकाल हो गया है ऋषभ एकेडमी का संचालन करने वाली श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर सदर दुर्गाबाड़ी समिति के सचिव संजय जैन ने बताया कि यह मामला काफी पुराना है, जो गलत नाम से चल रहा था। हमें कोर्ट की सुनवाई की तिथि की जानकारी नहीं हो सकी। जिस कारण एक्सपार्टी आदेश हो गया है। हमने स्थानीय सिविल कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया है। जिस पर कोर्ट ने मामला रिकाल कर लिया है। कोर्ट से इस संबंध में पत्र भी रक्षा संपदा अधिकारी को भेज दिया गया है।