डी एन पी जी कॉलेज गुलावठी बुलंदशहर में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर यशोवर्धन ने रूसी वैज्ञानिक मंडलीफ के रसायन विज्ञान में योगदान को विस्तार से समझाया



गुलावठी – रसायन विज्ञान विभाग डी. एन.(पी.जी.) कॉलेज गुलावटी बुलंदशहर में एकदिवसीय व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत डी.एन.कॉलेज मेरठ के रसायन विज्ञान के प्रो. यशोवर्धन ने रूसी वैज्ञानिक मंडलीफ के रसायन विज्ञान में योगदान को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि मंडलीफ से पहले प्रकृति में उपस्थित विभिन्न तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुणों को याद करना बहुत ही कठिन था।  मेंडलीफ ने 1869 में सर्वप्रथम प्रकृति में उपस्थित विभिन्न तत्वों के गुणों का अध्ययन कर एक सारणी के क्रम में व्यवस्थित किया और इसे आवर्त सारणी नाम दिया। आवर्त सारणी तत्वों के गुणों में समानता  के आधार पर बनाई गई है । यद्यपि मेंडलीफ की आवर्त सारणी तत्वों के परमाणु भार के बढ़ते क्रम के अनुसार बनाई गई थी। कुछ समय बाद अनुसंधान से यह पता चला कि  के तत्वों में समानता का कारण उनका परमाणु भार नहीं बल्कि उनकी इलेक्ट्रॉनिक संरचना है । आवर्त सारणी में तत्वों के गुणों के आधार पर अनेक नए तत्वों की खोज की गई और उनके गुणों का अध्ययन करके उन्हें उपयोगी बनाया  जाता हैं।     इस अवसर पर रसायन विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विनय कुमार सिंह ने  बताया कि आवर्त सारणी की सहायता से आवर्त सारणी में उपस्थित विभिन्न तत्वों की चालकता, अचालकता, और कुचलकता के गुणों को आसानी से पता लगाया जा सकता है।  इन गुणों के आधार पर इनका उपयोग विद्युत धारा को प्रवाहित करने या विद्युत धारा के प्रवाह को रोकने में किया जाता है। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विनीता ने कहा कि आवर्त सारणी में तत्वों की स्थिति देखकर हम उनके चुंबकीय गुणों को आसानी से समझ सकते है। इन्हीं चुंबकीय गुणों का उपयोग करके उच्च गुणवत्ता के रेडियो स्पीकर बनाए जाते हैं। कॉलेज प्राचार्य प्रोफेसर योगेश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि रसायन विज्ञान के विकास में मेंडलीफ के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। इस अवसर पर डॉ अवधेश कुमार सिंह, हरिदत्त शर्मा, कृष्ण कुमार, नरेश कुमार, शशि कपूर, श्याम प्रकाश, भूपेंद्र कुमार  उपस्थित रहे।

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