गुरुग्राम। विश्व हेपेटाइटिस के मौके पर सेक्टर-10 जिला अस्पताल में लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम किया गया। वरिष्ठ फिजिशियन डा. काजल कुमुद ने कहा कि हेपेटाइटिस बीमारी के कई कारण हैं। मरीज को यह बीमारी तेजी से अपने गिरफ्त में लेती है और बरसात में ज्यादा खतरा रहता है। हेपेटाइटिस चार प्रकार का होती है जो अलग-अलग कारणों से शरीर में फैलती है। अगर समय पर इलाज न हो, तो मरीज की जान जा सकती है।
हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमित रक्त के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता हैं। हेपेटाइटिस बी का वायरस संक्रमित रक्त, संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले किसी भी तरल पदार्थ से फैलता है। ऐसे में संक्रमित व्यक्ति के साथ रहने वालों और खासतौर पर उनके साथ संबंध बनाने वालों को सचेत हो जाना चाहिए। वरिष्ठ फिजिशियन डा. नवीन कुमार का कहना है कि लिवर का सही ढंग से काम करना आवश्यक होता है और इसके लिए हेपेटाइटिस बीमारी की सही समय पर पहचान करना जरूरी है। इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी डा. सुधा गर्ग व प्रबंधक डाक्टर मनीष राठी, डा. नजमा भी उपस्थित थीं।
वहीं आर्टेमिस अस्पताल में भी इस मौके पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। डा. पवन रावल ने कहा कि उद्देश्य गैस्ट्रो और लिवर रोग के संबंध में लोगों को जागरूक करना है। कार्यक्रम में गुब्बारे हवा में छोड़े गए। डा.कपिल देव जामवाल, डा. अतुल शर्मा,डा. राजेश कुमार, डा. अभिनंदन मिश्रा ने कहा कि एक अनुमान है कि भारत में 4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस-बी पीड़ित हैं।
इन बातों का रखें ध्यान रखें:
– दूषित भोजन न खाएं और न दूषित पानी पीएं।
– असुरक्षित इंजेक्शन व चिकित्सा प्रक्रिया से संक्रमण होने का खतरा है।
– असुरक्षित यौन संबंध बनाने के संक्रमण होने का खतरा रहता है।
– गर्भवती महिला से बच्चे में संक्रमण होने का खतरा।
इन बातों से हो सकता है बचाव:
– हाथों को अच्छे से साफ करें, फिर भोजन करें।
– मान्यताप्राप्त रक्त बैंक के रक्त का प्रयोग करें।
– एक व्यक्ति को लगे इंजेक्शन रिफिल का दूसरे में प्रयोग नहीं करें
– शेविग रेजर अलग-अलग होने चाहिए।
– सुरक्षित यौन संबंध रखें। – बच्चे का जन्म होने के बाद हेपेटाइटिस -बी का टीका लगवाए।