
विवाह पंजीकरण को लेकर जारी किए गए नए दिशा-निर्देश, फर्जी पहचान व धोखाधड़ी रोकने की पहल।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब परिवार की सहमति के बिना गुपचुप तरीके से विवाह का पंजीकरण कराना पहले की तरह आसान नहीं रहेगा। राज्य सरकार ने विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को सख्त करते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन नियमों का पालन न करने पर विवाह का रजिस्ट्रेशन संभव नहीं होगा।
यह कदम इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में उठाया गया है। इस संबंध में आईजी निबंधन द्वारा अंतरिम दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। नए नियमों के मुताबिक, विवाह का पंजीकरण अब केवल उसी जिले में किया जा सकेगा जहां वर-वधु या उनके माता-पिता में से कोई निवास करता हो।
नए नियमों के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं।
स्थानीयता की अनिवार्यता अब जरूरी होगी। विवाह का पंजीकरण केवल उसी जिले में होगा, जहां वर-वधु या उनके माता-पिता का निवास प्रमाणित हो।
गवाह की सख्ती भी जरूरी होगी, विवाह कराने वाले पंडित, मौलवी या किसी अधिकृत व्यक्ति की पहचान, पता, मोबाइल नंबर, आधार कार्ड और एक शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा।
परिवार की सहमति का प्रमाण: यदि विवाह परिवार की सहमति से हुआ है, तो उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी पंजीकरण के समय आवश्यक होगी।
सरकार का मानना है कि इस सख्ती से फर्जी पहचान, जबरन विवाह, लव जिहाद जैसे मामलों और पारिवारिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सकेगा। बिना परिवार की जानकारी के की जाने वाली शादियों में धोखाधड़ी और सुरक्षा जोखिम की संभावना अधिक होती है।
सामाजिक प्रतिक्रिया मिली जूली है।
हालांकि इस फैसले को लेकर सामाजिक संगठनों और नागरिक अधिकार समूहों की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है। कुछ संगठनों ने इसे पारिवारिक मूल्यों की रक्षा का कदम बताया, वहीं कुछ ने युवाओं की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों में हस्तक्षेप माना है।
इस फैसले से विवाह संबंधी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता तो बढ़ेगी, लेकिन यह भी ज़रूरी होगा कि प्रशासन इन नियमों का दुरुपयोग न होने दे। साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि यह निर्णय व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रभावित न करे।