मेरठ के मां बगलामुखी धाम में विराजित हुईं दसों

महाविद्याएं :  कामाख्या मंदिर और दतिया के पीतांबर पीठ के बाद मेरठ का बगलामुखी मंदिर भी बना दसों महाविद्याओ का शक्तिपीठ

मेरठ। चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर मेरठ स्थित मां बगलामुखी धाम में आध्यात्मिक इतिहास रचा गया। रवि पुष्य नक्षत्र, श्रीराम नवमी और नवमी तिथि के शुभ संयोग में माता षोडशी महाविद्या की प्राण प्रतिष्ठा और स्थापना विधिवत रूप से सम्पन्न हुई। यह आयोजन आचार्य प्रदीप गोस्वामी जी की देखरेख में भव्य हवन, अनुष्ठान और यज्ञ के साथ सम्पन्न हुआ।
इस विशेष अवसर पर माता तारा महाविद्या जयंती भी मनाई गई, जिसके उपलक्ष्य में पंच दिवसीय अधिवास, नगर भ्रमण और शोभायात्रा का आयोजन किया गया। माता की शोभायात्रा में नगरवासी बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ शामिल हुए, और हवन व अनुष्ठान के उपरांत देवी को विधिपूर्वक विराजमान किया गया। देश मे असम के कामाख्या मंदिर और मध्य प्रदेश के दतिया ज़िले के पीतांबर पीठ के बाद मेरठ का बगलामुखी मंदिर भी

बना दसों महाविद्याओ का शक्तिपीठ  —
धार्मिक अनुष्ठान व पूजा पाठ करने वाले पुजारियों की माने तो माता षोडशी महाविद्या की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही मां बगलामुखी धाम साकेत, मेरठ भारत का ऐसा धाम बन गया है जहां दसों महाविद्याएं एक ही प्रांगण में विराजित हो चुकी हैं। यह एक अत्यंत दुर्लभ और अलौकिक संयोग है, जिसे लेकर भक्तों में अपार हर्ष है। माता षोडशी भगवती अपने सिंहासन पर विराजमान हैं, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश और शिव को अपने आसन का पाया बना कर उन्होंने अपना आध्यात्मिक स्थान ग्रहण किया है। यह दृश्य श्रद्धालुओं को चमत्कृत कर देने वाला है, जिसमें देवी का विराट स्वरूप प्रतीत होता है।

नित्य हवन और अनुष्ठान की व्यवस्था —
मंदिर प्रांगण में दसों महाविद्याओं के साथ देवी भगवती की नित्य पूजा-अर्चना, भोग, हवन और अनुष्ठान की विशेष व्यवस्था की गई है। यहां आने वाले श्रद्धालु ना केवल दर्शन का लाभ प्राप्त करते हैं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति का अनुभव भी करते हैं। मां बगलामुखी धाम अब न केवल मेरठ बल्कि पूरे देश के लिए एक शक्तिपीठ का रूप ले चुका है, जहां श्रद्धालु दस महाविद्याओं की सामूहिक शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।

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