
यज्ञ के चौथे दिन मां बगलामुखी साधना के विषय में भक्तों को समझाते हुए उन्होंने बताया कि 36 अक्षरों का मां बगलामुखी का मंत्र शत्रु पर ब्रह्मास्त्र की तरह कार्य करता है।इस मंत्र को 36 की संख्या में जपना चाहिए 36 सौ या 36 हजार मंत्रों का साधारणतः किसी भी साधक को प्रारंभ में जाप करना चाहिए।
विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए मां बगलामुखी की साधना मध्यरात्रि में करनी चाहिए।
माँ बगलामुखी की साधना विशेषतः वाद विवाद में विजय और वाक् सिद्धि के लिए किया जाता है। पीतांबरा मारण,मोहन, उच्चाटन व स्तंभन शक्ति हैं।
शत्रु की वाणी का किल कर यह शत्रु को भी पक्ष में खड़ा कर देने वाली अचूक शक्ति हैं।सात्विक साधना के साथ ही असाध्य कार्यों के लिए मां बगलामुखी की साधना के तंत्र प्रयोग भी किया जाता है।
मां बगलामुखी अपने साधक को निर्भयता का वरदान देकर उसके सभी शत्रुओं का नाश कर विजय के मार्ग को प्रशस्त करती हैं।जब कोई मनुष्य सब ओर से हार जाता है,उसकी मान प्रतिष्ठा दांव पर हो, न्यायालय में किसी वाद विवाद में वह फंस गया हो, कारगार में बंदी हो गया हो,जमीनी कोई विवाद हो और किए गए प्रयासों में सफलता न प्राप्त हो रही हो तब मां पीतांबरा की शरणागति ही ऐसे व्यक्ति के लिए एक मात्र उपाय है।
माँ बगलामुखी की साधना से हर प्रकार के पापों का शमन हो जाता है,जिसको परा अंबा का सान्निध्य प्राप्त हो जाता है उसके प्रारब्ध व संचित कर्मों के फल भी भगवती काट देती हैं।
माँ बगलामुखी की साधना से प्राप्त परिणामों को सार्वजनिक नहीं किया जाता इसके परिणाम गुरु और शिष्य के मध्य ही रहते हैं ।
मां बगलामुखी की भक्ति प्रत्येक साधारण से साधारण मनुष्य कर सकता है।मानसिक पूजा का भी वही फल प्राप्त होता है।धन वैभव से परिपूर्ण व्यक्ति, राजनैतिक क्षेत्र में विरोधियों को परास्त करने की इच्छा रखने वाले नेता।अनेकों अधिवक्ता न्यायालय में विजय प्राप्ति के लिए निरंतर मां बगलामुखी के अनुष्ठान कराते रहते हैं।
इस मौके पर विपुल सिंघल, नरेश कुमार, हिमांशु वर्मा, रंजना वर्मा, संगीता पंडित, सीमा श्रीवास्तव, रेखा,सौरव, सीमा, सुमन, अनुज,मोनिका, मंजू आदि लोग उपस्थित रहे।