
मेरठ। फलावदा थाने के इतिहास में पहली बार आईपीएस अफसर द्वारा की गई थानेदारी बेमिसाल साबित हुई। सीधे संवाद की व्यवस्था लागू करके एएसपी पब्लिक में खाकी का खौफ खत्म कर गए। एएसपी अपनी थानेदारी से क्राइम कंट्रोल के साथ जनता का विश्वास जीतने में भी कामयाब साबित हुए।
गौरतलब है कि जनपद के फलावदा थाने में करीब तीन माह तक चार्ज पर रहे प्रशिक्षु आईपीएस अफसर देवेश चतुर्वेदी ने रुल रेगुलेशन लागू के अनुसार, थाना चलाकर सुदृढ़ पुलिसिंग की मिसाल कायम की। उन्होंने थाने आने वाले प्रत्येक पीड़ित की पहले पायदान पर स्वयं सुनवाई करके शत प्रतिशत अपराध पंजीकरण का रिकॉर्ड बनाया। पीड़ित की समस्या का समाधान प्राथमिकता के आधार पर कराया गया। ये बात दीगर है कि थाने का क्राइम नंबर बुलंदी छूने लगा। थाना प्रभारी के दायित्व का निर्वाहन करते हुए एएसपी देवेश चतुर्वेदी ने तत्काल एक्शन से अपराधियों पर लगाम लगाई। उन्होंने फलावदा थाना क्षेत्र में शराब की अवैध बिक्री, मिट्टी के अवैध खनन, जुआ, सट्टा जैसे तमाम सभी जुर्म, जरायम और ठेकेदारी प्रथा पर अंकुश लगाकर अपराध नियंत्रण का रिकॉर्ड बनाया। कानून को लेकर सख्त रहने वाले इस आईपीएस ने प्रायः थानेदारों पर रहने वाले शासन सत्ता और सियासात के दबाव को दरकिनार रखते हुए गुण दोष के आधार पर ही कार्यवाही की। हालांकि थाने का बदला निजाम कई जनप्रतिनिधियों तथा मातहतों को काफी नागवार गुजरता रहा। अवांछनीय कारणों से थाने पर डेरा रखने वाले लोग एएसपी की थानेदारी में उचित दूरी बनाते नजर आए। उनका सीधा संवाद आम जनता के बीच रहने वाली पुलिस की दूरियां समाप्त करने में संजीवनी साबित हुआ।
पुरानी व्यवस्था बहाल होने की चर्चाएं —-
नतीजतन एएसपी के संक्षिप्त कार्यकाल में जनता के दिलों दिमाग से खाकी का खौफ मिट गया। पुलिस का भय सिर्फ अपराधिक तत्वों में नजर आया। तीन माह थाने में रही आईपीएस की तैनाती से हुआ सुधार कब तक कायम रहेगा? यह अपने आप में बड़ा सवाल है। एएसपी के जाने के बाद क्षेत्र में पुरानी व्यवस्था बहाल होने की चर्चाएं हो रही है।