
मेरठ। भाजपा सरकार का किसान विरोधी चेहरा एक बार फिर सामने आ गया। चीनी मिल मालिकों के दबाव में सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाया। जिससे फिर एक बार साबित हो गया कि यह सरकार पूंजीपतियों के इशारे पर कार्य करती है, और गरीब मजदूर किसानों को कुचलने का कार्य कर रही है। आज तक आंदोलनरत् किसानों की मांगे भी नही मानी गई।जिससे साबित हो गया है कि एक बार फिर से सभी किसान संगठनों के एक झंडा और एक बैनर के नीचे आकर संयुक्त रुप से आंदोलन करना पड़ेगा। क्योंकि आपसी फूट का फायदा सरकार उठा रही है। आज कई किसान संगठन सरकार और पूंजीपतियों के इशारे पर काम कर रहे है। नाम तो किसान संगठनों का है और काम किसानों के विरुद्ध कर रहे है। जो सरकार के सहयोगी दल स्वयं को किसानों की पार्टी बताते हुए किसानों के वोट लेकर जीते और किसानों के हित के लिए सरकार में शामिल हुए उनके द्वारा भी सत्ता की मलाई खाने के लिए चुप्पी साध ली गई है। किसानों का दुख दर्द उन्हें नही दिखता। किसान इसी वजह से आत्म हत्या को मजबूर है। किसानों को जब उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिलेगा तो किसान और किसानी कैसे बचेगी। भारतीय किसान यूनियन इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप तितौरिया ने कहा कि इस सम्बन्ध में यूनियन का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से समय लेकर अपना मांग-पत्र प्रस्तुत करेगा, यदि मांगें नहीं मानी जाती तो सभी किसान यूनियनों को एकत्र कर आंदोलन की रुप रेखा तैयार की जायेगी।