किशोरावस्था शारीरिक, मानसिक, वैचारिक और सामाजिक बदलावों का दौर होता है। इस दौरान किशोर-किशोरियों को सही सलाह और जिज्ञासाओं व समस्याओं के निदान के बारे में समुचित सही जानकारी मुहैया कराना बहुत ही जरूरी होता है। इसी दौरान किशोरियों में मासिक धर्म या माहवारी की शुरुआत होना भी एक सामान्य प्रक्रिया है । 10 से 15 साल की बालिकाओं में इस दौरान एक तरह का हार्मोनल बदलाव का दौर शुरू होता है। मासिक धर्म के दौरान बेहतर स्वास्थ्य के लिहाज से स्वच्छता और साफ़-सफाई का खास ख्याल रखना बहुत ही जरूरी होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए हर साल 28 मई को माहवारी स्वच्छ्ता दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष इस दिवस की थीम है- “पीरियड फ्रेंडली वर्ल्ड के लिए एकजुट “टुगेदर फॉर ए “पीरियड फ्रेंडली वर्ल्ड”। यह एकजुटता ऐसी होनी चाहिए कि वैश्विक स्तर पर मासिक धर्म एवं स्वच्छ्ता के सामंजस्य से महिलाओं एवं युवतियों को स्वास्थ्य लाभ मिल सके।
नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-5) 2020-21 के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में 15 से 24 वर्ष आयु वर्ग की 72.6 प्रतिशत युवतियां माहवारी के दौरान स्वस्थ व सुरक्षित तरीकों का इस्तेमाल करती हैं। इनमें शहरी क्षेत्र की 86.7 फीसद और ग्रामीण क्षेत्र की 68.4 फीसद लड़कियां शामिल हैं। एनएफएचएस-4 (2015-16) के आंकड़े की बात करें तो उस दौरान उत्तर प्रदेश में इस आयु वर्ग की महज 47.1 प्रतिशत लडकियां ही माहवारी के दौरान सुरक्षित तरीकों का इस्तेमाल करती थीं। शहरी लड़कियों में यह आंकड़ा 68.6 प्रतिशत था और ग्रामीण इलाकों में रहने वाली लड़कियों का आंकड़ा 39.9 फीसद था। इससे साफ़ अनुमान लगाया जा सकता है कि महिलाओं में माहवारी में स्वच्छता व उसके प्रबंधन को लेकर औपचारिक ज्ञान में वृद्धि के साथ ही जागरूकता भी आई है, जिसमें सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रमों का अहम योगदान है।
इस बारे में पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल- इंडिया (पीएसआई-इंडिया) के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर मुकेश कुमार शर्मा का कहना है कि ग्रामीण परिवेश के आंकड़ों में कमी का प्रमुख कारण यह है कि यहाँ महिलाएं और महिलाएं कई तरह की समस्याओं से जूझती हैं, जैसे – माहवारी से जुड़ी कई तरह की प्रचलित भ्रांतियां, घर के इस्तेमाल किये गए कपड़े को धूप में सुखाने में हिचकिचाहट आदि, जिसके चलते संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और उचित माहवारी प्रबंधन का अभाव बना रहता है। मासिक धर्म को लेकर किशोरियों को किसी तरह का तनाव नहीं पालना चाहिए। इस दौरान अपने खानपान का समुचित ध्यान रखने के साथ ही भरपूर आराम भी करना चाहिए। किशोरियों व महिलाओं के समग्र विकास में मासिक धर्म कोई अवरोधक न बने, इसके लिए विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं ने आगे बढ़कर उन्हें इस बारे में जागरूक करने के साथ ही इस दौरान इस्तेमाल होने वाले सेनेटरी पैड की खूबियाँ भी समझाना शुरू किया है। यह बदलाव का दौर युवतियों के समग्र विकास में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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