
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के अर्थशास्त्र विभाग में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का आज समापन हुआ, जिसमें आर सॉफ्टवेयर की सामाजिक विज्ञान अनुसंधान में उपयोगिता पर विस्तृत चर्चा की गई। इस कार्यशाला में देशभर के कई विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया और आधुनिक डेटा विश्लेषण तकनीकों को सीखने का अवसर प्राप्त किया। समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर एन. के. तनेजा, पूर्व कुलपति, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय सम्मिलित रहे। उन्होंने कहा, “आज का शोध केवल विचारों तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि उसे ठोस डेटा का समर्थन भी चाहिए। आर सॉफ्टवेयर शोधकर्ताओं को यह शक्ति देता है कि वे बड़े और जटिल डेटा को समझ सकें, निष्कर्ष निकाल सकें और समाज के लिए उपयोगी समाधान प्रस्तुत कर सकें। सामाजिक विज्ञान में डेटा का उपयोग बढ़ाने से नीतिगत फैसले अधिक प्रभावी और सटीक हो सकते हैं।” कार्यशाला संयोजक प्रोफेसर आर. के. शर्मा ने कहा, “आर सॉफ्टवेयर केवल तकनीकी विशेषज्ञों के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक विज्ञान के शोधार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है। समाज में बदलाव लाने के लिए सही डेटा का सही विश्लेषण आवश्यक है। हमारे छात्र जब इस तकनीक में पारंगत होंगे, तो वे अपने शोध को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकेंगे और समाज को ठोस प्रमाणों के आधार पर दिशा दे सकेंगे।” कार्यशाला सचिव डॉ. संजीव कुमार ने दो दिवसीय सत्रों की विस्तृत प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि कार्यशाला के दौरान आठ तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिनमें आर सॉफ्टवेयर की स्थापना, डेटा विश्लेषण, सांख्यिकीय ग्राफ बनाना, जीआईएस मैपिंग (राज्य एवं जिला स्तर पर मानचित्र निर्माण) और पूर्वानुमान मॉडलिंग जैसी प्रमुख तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि इस कार्यशाला में पांच राज्यों के 10 से अधिक विश्वविद्यालयों से 80 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया और सभी ने आर सॉफ्टवेयर के उपयोग में उत्कृष्ट दक्षता प्राप्त की।
आईसीएमआर मुख्यालय से डॉ. जितिन कुमार (साइंटिस्ट-ई), लखनऊ विश्वविद्यालय से डॉ. अशोक कुमार और जबलपुर, मध्य प्रदेश से डॉ. एम. पी. सिंह ने विशेषज्ञ वक्ता के रूप में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने शोधकर्ताओं को बताया कि किस प्रकार आर सॉफ्टवेयर का उपयोग सर्वेक्षण डेटा विश्लेषण, ग्राफिकल विज़ुअलाइज़ेशन, नीति निर्माण, और साक्ष्य-आधारित अनुसंधान में किया जा सकता है। कार्यशाला के अंत में प्रो. एन. के. तनेजा द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर अतवीर सिंह ने सभी अतिथियों, विशेषज्ञों और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। यह कार्यशाला सामाजिक विज्ञान अनुसंधान में तकनीकी नवाचार को अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुई, जिससे शोध को अधिक वैज्ञानिक और प्रभावशाली बनाया जा सकेगा।