
श्री राम नवमी मंदिर, डालमपाड़ा, मेरठ में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के तृतीय दिवस पर उत्तराखंड की पावन भूमि से पधारे पूज्य भगवान अनुरागी आचार्य प्रदीप नौटियाल जी महाराज ने अपने हृदयस्पर्शी प्रवचनों से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक भावों में डुबो दिया।कथा में सती चरित्र, कपिल-देवहूति संवाद, ध्रुव चरित्र, अजामिल, तथा प्रह्लाद चरित्र जैसे गूढ़ प्रसंगों को सहज, सरल एवं भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत किया गया।
आचार्य जी ने सती चरित्र के माध्यम से यह संदेश दिया कि बिना आमंत्रण किसी स्थान पर जाने से पूर्व यह अवश्य विचार करना चाहिए कि वहां हमारे ईष्ट अथवा गुरु का अपमान तो नहीं होगा। वहीं, ध्रुव चरित्र के प्रसंग में उन्होंने समझाया कि धैर्य, संयम एवं लक्ष्य के प्रति अटल विश्वास ही जीवन की कठिन परिस्थितियों का समाधान है।
उन्होंने यह भी कहा कि भक्ति का कोई उम्र से संबंध नहीं, बल्कि बचपन में संस्कार रूपी बीज यदि रोपित हो जाएं, तो संपूर्ण जीवन एक आदर्श जीवन बन सकता है। कथा के उपरांत आयोजित गढ़वाली भजन संध्या ने वातावरण को भक्तिरस में सराबोर कर दिया। विशेष रूप से प्रस्तुत भजन “जो प्रेम कभी किया ही नहीं…” ने उपस्थित श्रद्धालुओं के हृदय को छू लिया। महिला व पुरुष भक्तों ने भजन पर झूमते हुए भक्तिरस का सजीव दृश्य उपस्थित किया। इस दिव्य आयोजन की व्यवस्था में मंदिर के मुख्य पुजारी पं. सी.पी. डिमरी के मार्गदर्शन में मयंक अग्रवाल, आशीष रस्तोगी, वासु चौरसिया, राहुल बंसल, प्रदीप शर्मा, मनीष सिंघल सहित अनेक सेवाभावी कार्यकर्ताओं की विशेष भूमिका रही।