
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में स्थापित होगा स्मार्ट ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन
भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान, जो पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत वायुमंडलीय विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी स्वायत्त शोध संस्थान है, “मिशन मौसम” कार्यक्रम के तहत दिल्ली-एनसीआर में लगभग 185 स्थानों पर स्मार्ट स्वचालित मौसम केंद्र (AWS) स्थापित कर रहा है। इस क्रम में चौधरी चरण सिंह (CCS) विश्वविद्यालय, मेरठ को भी स्मार्ट AWS की स्थापना के लिए चुना गया है।
स्मार्ट AWS की प्रमुख विशेषताएँ:
1. पूरी तरह आत्मनिर्भर – सौर ऊर्जा और बैटरी बैकअप से संचालित।
2. शून्य रखरखाव – विश्वविद्यालय की ओर से किसी जनशक्ति या संसाधन की आवश्यकता नहीं।
3. संकुचित क्षेत्र में स्थापना – परिसर में न्यूनतम स्थान की आवश्यकता।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य तापमान, आर्द्रता, वायु की गति व दिशा, वायुमंडलीय दबाव और वर्षा जैसे मौसम संबंधी डाटा को सटीक रूप से एकत्रित करना है। यह प्रणाली आपदा प्रबंधन, पूर्व चेतावनी प्रणालियों और जलवायु लचीलेपन को मज़बूत करेगी। दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरी क्षेत्रों में, जो चरम मौसम की घटनाओं के प्रति संवेदनशील हैं, यह डेटा अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
सीसीएस विश्वविद्यालय में AWS की स्थापना से न केवल शैक्षिक और जलवायु जागरूकता कार्यक्रमों को नया आयाम मिलेगा, बल्कि विश्वविद्यालय के छात्र-शोधार्थी IITM के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में रीयल-टाइम डेटा का उपयोग करके अपने शोध कार्यों में भी लाभान्वित होंगे। इस अवसर पर माननीय कुलपति, प्रोफेसर संगीता शुक्ला जी ने कहा जलवायु परिवर्तन आज की सबसे बड़ी वैश्विक चुनौतियों में से एक है और इसके प्रभाव स्थानीय स्तर पर भी गहराई से महसूस किए जा रहे हैं। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में स्मार्ट ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन की स्थापना हमारे लिए गर्व का विषय है। यह पहल न केवल हमारे विद्यार्थियों और शोधार्थियों को अत्याधुनिक मौसम संबंधी डेटा उपलब्ध कराएगी, बल्कि उन्हें जलवायु विज्ञान और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में नए शोध अवसर भी प्रदान करेगी। हमें विश्वास है कि यह सहयोग हमारे विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय जलवायु लचीलापन मिशन का एक सक्रिय साझेदार बनाएगा और हमारी युवा पीढ़ी को सतत विकास तथा वैज्ञानिक अनुसंधान की दिशा में प्रेरित करेगा।
इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रोफेसर मृदुल कुमार गुप्ता, कुलसचिव डॉ अनिल कुमार यादव, प्रोफेसर बिंदु शर्मा, शोध निदेशक प्रोफेसर वीरपाल सिंह, प्रोफेसर हरे कृष्णा, प्रोफेसर जगबीर भारद्वाज, डॉक्टर अंशु चौधरी, डॉक्टर विजेता गौतम। आदि मौजूद रहे।