
शहर में घरेलू सिलेंडरों के गलत उपयोग को लेकर बड़ा सवाल उठ रहा है। लालकुर्ती स्थित हरिया लस्सी पॉइंट पर घरेलू सिलेंडर चलते मिलने के बाद प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई तो कर दी, लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ हरिया लस्सी ही नियमों के दायरे में आती है?क्योंकि शहर के अधिकांश चाट-ठेलों, गोलगप्पा विक्रेताओं और हलवाई की दुकानों पर भी घरेलू गैस सिलेंडर धड़ल्ले से उपयोग किए जा रहे हैं, लेकिन उन पर न तो कोई छापा, न नोटिस और न ही नियमित जाँच।
मूल मुद्दा : शिकायत पर ही कार्रवाई क्यों ?
स्थानीय लोगों और व्यापारियों के अनुसार अधिकारी केवल शिकायत आने पर ही हरकत में आते हैं, जबकि नियमों के अनुसार एलपीजी एजेंसियों, खाद्य सुरक्षा विभाग और प्रशासन को नियमित निरीक्षण करना चाहिए।
ऐसे में यह सवाल उठता है।
क्या अधिकारी बाकी जगहों पर आंख मूंदकर बैठे हैं? :
नियम सबके लिए हैं, तो फिर कार्रवाई चुनिंदा स्थानों पर ही क्यों ?
खतरा हर ठेले और हर दुकान पर बराबर है, फिर नियमित अभियान क्यों नहीं :
शहर के कई लोगों का कहना है कि एक दुकान पर कार्रवाई करने से यह समस्या खत्म नहीं होगी, बल्कि यह तो पूरे शहर में सुरक्षा से खिलवाड़ का एक बड़ा सिस्टम बन चुका है।
सेंट्रल मार्केट, गुरुद्वारा रोड, यूनिवर्सिटी गेट के सामने की हकीकत :
ज्यादातर ठेलों व छोटे भोजनालयों में घरेलू सिलेंडर खुलेआम उपयोग हो रहे हैं। ठेले वालों का कहना है कि कमर्शियल सिलेंडर महंगा पड़ता है, इसलिए घरेलू सिलेंडर ही चल रहा है लेकिन प्रशासन यह अच्छी तरह जानता है कि घरेलू सिलेंडर व्यावसायिक उपयोग के लिए प्रतिबंधित है, फिर भी कोई चेकिंग नहीं होती।
खतरा कितना बड़ा :
घरेलू सिलेंडर में सुरक्षा मैकेनिज़्म कमर्शियल सिलेंडर जितना मजबूत नहीं होता। खुले में, ठेले पर या गर्म तवे के पास सिलेंडर रखना ब्लास्ट का खतरा कई गुना बढ़ा देता है।
सेंट्रल मार्किट, यूनिवर्सिटी सूरजकुंड पार्क और लालकुर्ती जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में ऐसा हादसा दर्जनों लोगों की जान ले सकता है।
प्रशासन की दोहरी व्यवस्था :
लोगों में यह नाराज़गी भी है कि हरिय़ा लस्सी जैसे मशहूर आउटलेट पर कार्रवाई करके बाकी जगहों को
नजरअंदाज़ करके अधिकारियों ने खुद ही दोहरे मानदंड बना दिए हैं।स्थानीय पत्रकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह समस्या पूरे शहर में व्याप्त है, इसलिए लक्षित कार्रवाई नहीं, व्यापक अभियान शुरू होना चाहिए।