
शहर के ऐतिहासिक बिल्वेश्वर नाथ मंदिर परिसर में हो रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण को लेकर आज एक अहम प्रेस वार्ता आयोजित की गई। यह वार्ता श्री दिनेश गोयल और श्री गणेश दत्त शर्मा द्वारा बुलाई गई थी, जिसका उद्देश्य मंदिर परिसर में दो गंभीर अवैध कार्यों को उजागर करना था।
बिल्वेश्वर नाथ मंदिर, जो मेरठ कैंट के सदर थाने के पीछे स्थित है, में एक प्राचीन पुरातात्विक कुआं मौजूद है। यह कुआं न केवल स्थानीय लोगों के लिए स्वच्छ जल का स्रोत था, बल्कि इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता भी है। मान्यता है कि रावण की पत्नी इस स्थान पर पूजा करने आती थीं और यहीं के जल का प्रयोग करती थीं।
हाल ही में कुछ व्यक्तियों द्वारा इस ऐतिहासिक कुएं को अवैध रूप से मिट्टी और मलबे से भर दिया गया है। आरोप है कि इन लोगों ने निजी लाभ की मंशा से ऐसा किया है ताकि आगे चलकर वहां दुकानें बनाकर बेची जा सकें। यही नहीं, उन्हीं लोगों पर जगन्नाथ मंदिर की संपत्ति को फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से हड़पने का भी प्रयास करने का आरोप लगाया गया है।
इस पूरे मामले को लेकर श्री दिनेश गोयल और श्री गणेश दत्त शर्मा ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में याचिका दायर की है, जिस पर संज्ञान लेते हुए 25 पक्षों को नोटिस जारी किया गया है। इनमें गणेश अग्रवाल, विवेक रस्तोगी नेताजी, पवन गर्ग, पारस गोयल, विजय गोयल, हरीश चंद जोशी, रूपक जोशी और अन्य के नाम शामिल हैं। साथ ही प्रशासनिक स्तर पर भी मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश, मेरठ के जिलाधिकारी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, मेरठ विकास प्राधिकरण और एसएसपी मेरठ जैसे अधिकारियों को भी पार्टी बनाया गया है।
श्री गणेश दत्त शर्मा, जो कि जगन्नाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं, ने बताया कि ट्रस्ट मंदिर की देखरेख के साथ-साथ पर्यावरण, गौसेवा और जल संरक्षण जैसे सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय है। वहीं श्री दिनेश गोयल, जो कि पांच बार कैन्टोनमेंट बोर्ड के सभासद रह चुके हैं, ने बताया कि वह लंबे समय से इस प्रकार की अवैध गतिविधियों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।
याचिका में यह भी बताया गया है कि रूपक जोशी और हरीश चंद जोशी ने मंदिर परिसर के एक कमरे पर अवैध कब्जा कर लिया है, जो सत्संग भवन के रूप में जाना जाता है, लेकिन वास्तव में वह कुएं से संबंधित उपकरण रखने का पारंपरिक स्थान रहा है। इन लोगों पर आरोप है कि वे इस कमरे का निजी पार्टियों और अन्य गतिविधियों के लिए प्रयोग कर रहे हैं। इतना ही नहीं, मंदिर के पीछे कचरा जलाने जैसी गतिविधियां भी की जा रही हैं, जो पर्यावरण और विरासत संपत्ति दोनों के लिए खतरा है।
प्रेस वार्ता के अंत में दोनों प्रमुखों ने प्रशासन से मांग की कि वह इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई करे तथा ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों की रक्षा सुनिश्चित करे।