अक्षय तृतीया, भगवान परशुराम जंयती पर रुद्राभिषेक, हवन पूजन और भंडारे का आयोजन

शनिवार को मां बगला मुखी धाम यज्ञशाला श्री दक्षिणेश्वरी काली पीठ मंदिर साकेत मेरठ में अक्षय तृतीया पर्व और भगवान विष्णु के सभी दस अवतारों में छठें अवतार माने गए भगवान परशुराम जी की जंयती पर भगवान शिव का रुद्राभिषेक, हवन पूजन और भंडारे का आयोजन किया गया।
मंदिर पुजारी मां बगलामुखी साधक आचार्य प्रदीप गोस्वामी जी ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर भगवान परशुराम का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
शनिवार को वर्ष के श्रेष्ठतम दिनों में से एक वैशाख शुक्लपक्ष तृतीया जिसे हम सभी अक्षय तृतीया के नाम से जानते हैं,। वेद वाक्य है कि, नक्षयः इति अक्षयः अर्थात जिसका क्षय नहीं होता वही अक्षय है। सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार अक्षय तृतीया, बसंत पंचमी और विजयदशमी सार्वभौमिक रूप से वर्ष के श्रेष्ठतम मुहूर्त हैं। इन मुहूर्तो में किए गए किसी भी तरह के शुभ-अशुभ कार्य का फल निष्फल नहीं होता। अर्थात यदि आप अच्छे कर्म करते हैं तो उसका फल भी अच्छा ही मिलता है। यह तिथि अक्षुण फल देने वाली है। आपके कर्म शुभ हों या अशुभ उसका परिणाम जीवन पर्यंत मिलता रहेगा। तभी शास्त्रों में कहा गया है कि इन मुहूर्तो में हर प्राणी को अपने कार्य के प्रति चैतन्य रहना चाहिए।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन स्नान, दान, जप, होम, स्वाध्याय, तर्पण तथा किसी भी तरह का दान-पुण्य आदि जो भी कर्म किए जाते हैं, वे सब अक्षय पुण्यप्रद हो जाते हैं। यह तिथि सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाली एवं सभी सुखों को प्रदान करने वाली मानी गई है।
इस अवसर पर शनि शाधक योगेश अग्रवाल, लोकेश दास, कामेश शर्मा, वैभव गोयल, विपुल सिंघल, नरेश कुमार, गोपाल सैनी आदि उपस्थित रहे।