चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मे हुआ एक दिवसीय शोधार्थी कार्यशाला का आयोजन


मेरठ।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग एवं भारतीय प्रज्ञान परिषद प्रज्ञा प्रवाह मेरठ के महिला तथा युवा आयाम के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय शोधार्थी कार्यशाला का आयोजन वाणिज्य विभाग के सभागार में किया गया इस कार्यशाला का विषय है भारत में विमर्श एवं शोधार्थियों की भूमिका रहा प्रातः की बेला में कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं पुष्प अर्पण के साथ किया गया तत्पश्चात वाणिज्य विभाग की छात्राओं द्वारा सुन्दर सरस्वती वंदना की प्रस्तुति की गई उद्घाटन सत्र में युवा आयाम की प्रांतीय संयोजक श्रीमती नेहा वत्स ने कार्यक्रम की रूप रेखा पर विषय प्रवेश प्रस्तुत किया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के नाम संबोधन के कुछ अंश को प्रदर्शित करने के साथ ही वीर सेनानियों हेतु 2 मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि प्रदान की गई । प्रथम सत्र का शुभारंभ प्रोफ़ेसर वीरपाल सिंह जी द्वारा प्राचीन भारतीय ज्ञान एवं विज्ञान परंपरा विषय पर अपना वक्तव्य रख कर हुआ। उन्होंने बताया हम वर्तमान युग की किसी भी विज्ञान कि विधा में कार्य करें हमें उन सभी का उत्तर प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा की विविध शाखाओं से प्राप्त होता है चाहे वह शाखा महर्षि कणाद की हो, आर्य भट्ट की हो अथवा मुनि   ऋषि भारद्वाज की हो, उन्होंने भारतीय विज्ञान की समस्त सुविधाओं को प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित बताया। चाय के उपरांत डॉक्टर आशीष बहुगुणा ने केंद्रीय विश्वविद्यालय गढ़वाल से गूगल बीच के माध्यम से अपना विषय इंडियन नगेटिव एंड इट्स डिसकोर्स विद भारत विषय पर PPT के माध्यम से प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने विवाद नैरेटर और उनका समाज पर प्रभाव प्रदर्शित किया साथ ही यह बताया कि भारतीय विधा में लिखने वाले इतिहासकारों को बहुत ही कम लोग जानते हैं अथवा परिचित हैं इसी प्रकार ब्रिटिश साम्राज्यवाद ही दृष्टिकोण ने भारत में अनेक नैरेटर स्थापित किए जिससे भारत का पढ़ा लिखा वर्ग भी बच नहीं सका। अगला वक्तव्य डॉक्टर उपदेश वर्मा का रहा जिन्होंने शोधार्थियों को शोध अनुदान विषय पर विस्तार से PPT के माध्यम से समझाया कि वे अपनी शोध परियोजनाओं हेतु किस प्रकार देश और विदेश से शोध अनुदान प्राप्त कर सकते हैं और अपनी शोध की यात्रा को सुगम बना सकते हैं। तत्पश्चात मुख्य अतिथि के रूप में पधारे नगर आयुक्त सौरभ गंगवार ने अपने अनुभव साझा किए कि किस प्रकार विदेशी कंपनियां भारतीय विधा को यहाँ आकर नौकरी प्रदान करती है और विदेशों की ओर शोधार्थी अग्रसर हो जाते हैं परंतु उनके हाथ कुछ नहीं आता क्योंकि वहाँ जीवन चर्या अत्यंत महँगी है। इसके उपरांत महिला आयाम की संयोजक एवं इस कार्यक्रम की संयोजक प्रोफ़ेसर अनीता गोस्वामी ने भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रतिस्थापना विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में अनेक विज्ञान के तत्व मौजूद हैं जो संश्लिष्ट विकास की द्योतक थी आज आवश्यकता हमें अपने षड्दर्शन को जानने की है जो जीवन मृत्यु और भविष्य के विषय में सटीक जानकारी उपलब्ध कराते हैं । अपराह्न में शोधार्थियों एवं समस्त प्रतिभागियों हेतु भोजन की सुंदर व्यवस्था थी भोजन उपरांत सत्र में प्रोफ़ेसर कृष्ण कांत शर्मा ने सिनौली में भारतीय ज्ञान परंपरा के परमाणु विषय पर अपना पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया और ऐसे अनेक प्रश्नों के उत्तर दिए जिन्हें वर्षों से इतिहासकार नहीं मानते थे उन्होंने कहा कि पुरातत्त्व ने महाभारत काल के अनेक जटिल प्रश्नों को तो उत्खनन के द्वारा सबके समक्ष रखा है उसने वर्षों से अनुत्तरित प्रश्नों के समस्त उत्तर प्रदान कर दिए। समापन सत्र में मुख्य वक्ता IIT भोपाल के प्रोफ़ेसर सदानंद दामोदर सप्रे जीने भारतीय ज्ञान परंपरा विमर्श तथा भारत में उपस्थित विभिन्न बहरूपिए विमर्श की काट कैसे की जाए इस विषय पर अपने विचार रखें अपने उद्बोधन में उन्होंने शोधार्थियों को बताया कि यह उनकी मैं 3 ज़िम्मेदारी है कि वे समाज में प्रचलित ग़लत विमर्श का खंडन करें और उसकी सही रूपरेखा समाज के समक्ष साधारण शब्दों में प्रस्तुत करें । अंत में कार्यक्रम के समन्वयक प्रोफ़ेसर रविंद्र कुमार शर्मा ने सभी उपस्थित विद्वज्जन शोधार्थियों अतिथियों शिक्षकों गणमान्य नागरिकों का धन्यवाद ज्ञापित किया और इस कार्यशाला की उपयोगिता और महत्व पर भी प्रकाश डाला। इस इस कार्यक्रम के संयोजक महिला आयाम से प्रोफ़ेसर अनीता गोस्वामी तथा युवा आयाम से श्रीमति ने हवस रहीं कार्यक्रम के समन्वयक वाणिज्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर रविंद्र कुमार शर्मा रहे विशेष सानिध्य भगवती प्रसाद राघवजी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड क्षेत्र संयोजक प्रज्ञा प्रवाह रहे इसके अतिरिक्त इस अवसर पर डॉक्टर रामचंद्र सिंह डॉक्टर अनुज कुमार डॉक्टर रमाकांत ओझा डॉक्टर दयानंद डॉक्टर पवन, अवनीश त्यागी डॉक्टर मनीष त्यागी के अतिरिक्त बड़ी संख्या में प्रोफ़ेसर्स शिक्षक तथा शोधार्थियों ने सहभागिता की कुल शोधार्थियों ने सौ से अधिक पंजीकरण कराएँ कार्यक्रम का संचालन शोधार्थी कृष्णा ने किया।

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