
लखनऊ। एसटीएफ को लंबे समय से सूचना मिल रही थी कि फरार अपराधी उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में सक्रिय होकर अपराध कर रहा है। इस पर एसटीएफ नोएडा यूनिट को इनामी अपराधियों की तलाश में लगाया गया। अपर पुलिस अधीक्षक राजकुमार मिश्रा और पुलिस उपाधीक्षक नवेन्दु कुमार के पर्यवेक्षण में उपनिरीक्षक अक्षय पी.के. त्यागी के नेतृत्व में टीम गठित की गई।
01 सितंबर को टीम लुधियाना के साहनेवाल क्षेत्र में भ्रमणशील थी, तभी मुखबिर से सूचना मिली कि फरार इनामी अपराधी शशांक बजाज वहां मौजूद है। सूचना को सत्यापित करने के बाद स्थानीय पुलिस की मदद से एसटीएफ टीम ने घेराबंदी कर शशांक बजाज को गिरफ्तार कर लिया। अभियुक्त के पास से उसका आधार कार्ड और पैन कार्ड बरामद किया गया।
हत्या से फरारी तक की पूरी कहानी
गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में शशांक बजाज ने चौंकाने वाले खुलासे किए। करीब 34 वर्षीय यह अपराधी स्नातक है और जनपद पीलीभीत के ग्राम जोगीपुर का निवासी है। वर्ष 2015 में उसने अपने परिजनों के साथ मिलकर बदायूँ निवासी सुभाष चन्द शर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्या की वजह मेंथाल कारोबार का आर्थिक विवाद था। हत्या के बाद वह अपने पिता के साथ देहरादून भाग गया, जहां पुलिस मुठभेड़ में दोनों पकड़े गए और जेल भेज दिए गए।
2019 में शशांक को बदायूँ जेल से पीलीभीत जेल भेजा गया। कोविड-19 महामारी के दौरान इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया तो वह पुलिस को चकमा देकर भाग निकला। तब से वह फरार चल रहा था और उसकी गिरफ्तारी पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था।
आपराधिक इतिहास
शशांक बजाज पर हत्या, हत्या का प्रयास, मारपीट और महामारी अधिनियम सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं। अब तक बदायूँ और पीलीभीत जिलों में उसके खिलाफ छह से अधिक मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।
एसटीएफ की रणनीति रंग लाई
लगातार पांच साल से फरार चल रहे इस कुख्यात अपराधी की गिरफ्तारी एसटीएफ की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। गिरफ्तार आरोपी को थाना कोतवाली पीलीभीत के केस में दाखिल किया गया है और आगे की कार्रवाई स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही है।
यह गिरफ्तारी न केवल एसटीएफ की सटीक खुफिया कार्यप्रणाली को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि फरार होकर अपराध की दुनिया में छिपना आसान नहीं है।

