डीएफओ के कारनामों पर विजिलेंस विभाग की टेढ़ी नजर

शासन के निर्देश पर डीएफओ के कारनामों की जांच शुरू विभाग में मचा हड़कम्प
विजिलैंस विभाग ने मुख्य वन संरक्षक मेरठ कार्यालय से डीएफओ के कारनामों की मांगी रिर्पोट
डीएम की शिकायत के बाद डीएफओ को मिला ईनाम,बनाया झांसी का डीएफओ
डीएफओ करीब तीन दिनों तक जिले से रहे नदारत, लखनउ में डाला डेरा शासन व विभाग के उच्चधिकारियों सांठ—गांठ का कर रहे भरसक प्रयास

डीएम प्रेरणा शर्मा ने सरकार की छवि को धुमिल करने व सरकार की नीतियोंं को ठेंगा दिखाने वाले सहायक डीएफओ के कारनामों को लगातार उजागर कर शासन एवं वन विभाग के उच्चधिकारियों अवगत कराने भ्रष्ट एवं लापहरवाह साहयक डीएफओ कार्यवाही के लिए शिकायती पत्र लिख रही है। मगर सहायक डीएफओ के रसूक के आगे सारे शिकायती प्रार्थना पत्र मानों फाईलों में ही दम तोड़ते नजर आ रहें है। डीएम द्वारा एक शिकायत 20 नवम्बर 2023 में की गई वही दूसरी शिकायत 02 दिसम्बर 2023 में की गई दो माह बीत जाने के बाद भी शासन और वन विभाग के उच्चधिकारी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जांच ही कर रहें है।

आपको बता दे कि सीएम योगी ने शासन—प्रशासन में बैठे उच्चधिकारियों को साफ—साफ निर्देशित किया गया है। वह भ्रष्टाचार में लिप्त और जनहित के कार्यो में रूचि नही लेने वाले ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिए। जिसके परिणाम प्रदेश की जनता ने महसूस किए और देखने को भी मिले। जनता ने योगी सरकार की इसी कार्यशैली से प्रभावित होकर प्रदेश की सत्ता की बागडोर दूसरी बार योगी अदित्यनाथ के हाथें में सौंप दी। मगर कुछ अधिकारी निजि लाभ एवं अपने जनता के विरोध रवैये में परिवर्तन लाने को तैयार नही है जिसकी बानगी हापुड़ जिले कार्यवाहक डीएफओ के पद तैनात संजय मल्ल में देखने को जहां संजय मल्ल के रौब व रूतवे आगे योगी सरकार की नीति एवं निर्देश बोने साबित हो रहें है।

सवाल:—डीएम की शिकायत पर दो माह से हो रही जांच,जांच के दौरान संजय मल्ल कैसे बना झांसी का डीएफओ

डीएम प्रेरणा शर्मा ने बिन्दुवार लिखकर शासन में अपर मुख्य सचिव सहित मेरठ कमिश्नर और प्रधान मुख्य वन संरक्षक विभाग को भेजा। जिसके बाद भी कार्यवाहक डीएफओ संजय मल्ल पर कोई प्रभावी कार्यवाही अमल में नही लाई गई। बल्कि नियमों अनदेखी करने वाले डीएफओ दूसरे बडे जिले का चार्ज सौंप दिया। विभागीय कर्मचारी की माने तो डीएम द्वारा ली गई वन विभाग के कार्यो की समीक्षा बैठक में कार्यवाहक डीएफओ साहब हमेशा लापहवाह बने रहे जिसके चलते संजय मल्ल को डीएक ने जिले अफसरों के बीच ही कई बार डांट फटकार लगाई। जिले में डीएफओ साहब के कारनामों की चर्चा अब आम बात हो रही है। योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं को भी संजय मल्ल महत्व नही देते। डीएम ने संजय मल्ल को सीएम योगी आदित्यनाथ के जिले में हुए अनुसूचित जाति वर्ग का सम्मेलन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम में वीआईपी पाार्किंग में डयूटी की जिम्मेदारी दी थी। बावजूद संजय मल्ल ने डीएम के आदेश को ताक पर रखते हुए कार्यक्रम से नदाराद रहे। आरोप है कि संजय मल्ल ने योगी सरकार की महत्वकांक्षी योजना गंगा एक्सप्रैसवे परियोजना के कार्य में भी गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाया जिससे कई माह तक परियोजना का कार्य प्रभावित रहा। जिसके चलते जिला प्रशासन को किसान संगठनों कई आमने—सामने व धरना प्रर्दशन हुआ। उसके बाद कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले ऐतिहासिक मेले में जहां 30 से 35 लाख श्रृद्वालूओं आते है।

उस मेले में भी संजय मल्ल में कोई कामकाज नही किया और खुद को अवकाश पर बताकर अपने अधिनस्थ कर्मचारियों मेले में भेजकर डयूटी की इतिश्री कर ली।जब डीएम प्रेरणा शर्मा ने संजय मल्ल की छुटटी के बारे में वन विभाग मेरठ के मुख्य वन संरक्षक एन के जानू से बात कर जानकारी कि गई तो संजय मल्ल को किसी प्रकार की छुटटी नही देने की बात कही जिसके बाद डीएम प्रेरणा शर्मा ने संजय मल्ल को तीन बार अलग—अलग मामलों में कारण बताओं नोटिस भी जारी कर दिया था।

क्या कहते है विजिलैंस अधिकारी…….

वही विभाग के विजिलैंस अधिकारी दीपक कुमार का कहना है कि शासन के आदेश पर डीएम की शिकायती पत्रों पर जांच की जा रही उन्होनें मामले में मेरठ रेंज के मुख्य वन संरक्षक एन के जानू से उल्लिखित बिन्दुओं एक सप्ताह के अंदर रिर्पोट मांगी गई है। जिसके बाद डीएफओ संजय मल्ल की रिर्पोट उच्चधिकारियों को सौंप दी जायेगी। डीएफओ संजय मल्ल का मामला गम्भीर विभाग के उच्चधिकारियों एवं शासन के संज्ञान में है। जांच रिर्पोट के बाद कार्रवाई के बारे में बताया जा सकता है। अगर दोषी पाये गये तो निश्चित कार्रवाई की जायेगी।