


हापुड़: योगी सरकार भ्रष्टाचार,माफिया मुक्त की नीति पर पिछले सात वर्षों से सत्ता पर काबिज है। जिले में तैनात कुछ भ्रष्ट अधिकारी एवं कर्मचारी भ्रष्टाचार माफिया युक्त नीति के तहत कार्य करने में लगे हुए है। जिसकी बानगी नगर पालिका परिषद हापुड़ में देखने को मिली जहां करोड़ों रुपये की बेशकीमती सरकारी जमीन पर भू—माफियों को पालिका के कर्मचारियों ने 18 लाख रुपये की रिश्वत लेकर कब्जा कराने में सहयोग करने के आरोप ने हड़कंप मचा दिया। एसडीएम ने मामले का संज्ञान लेकर जांच शुरू कर दी है। पिछले दिनों पालिका की जमीन को कब्जा करने के आरोपों के चलते तहसील प्रशासन व नपा के अधिकारियों ने पैमाइश कराकर जमीन को कब्जा मुक्त कराकर तारबंदी व पालिका का बोर्ड लगा दिया था। भु—माफिया ने नपा के कर्मचारियों से मिलकर पोल-तार को उखाड़ फेंके और जमीन पर कब्जा कर लिया। जिसके बाद एसडीएम ने मामले में आधा दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया । जिसके बाद विभाग व भू—माफिया ग्रुप में हड़कंप मचा हुआ है। आपको बता दे कि पिछले कई दशक पूर्व खेतों की सिंचाई एवं अन्य कार्यों के लिए जल की आपूर्ति बुलंदशहर रोड़ स्थित डाकबंगला के पास लगे नलकूप से होती थी। इसके लिए चितौली मार्ग से होकर पाइपलाइन बनी हुई थी। कालांतर में इस पाइपलाइन का उपयोग बंद हो गया। ऐसे में क्षेत्र के लोगों ने निजी स्वार्थ के लिए पाइप लाइन छतिग्रस्त कर पाईप को उखाड़ फेंक कर जमीन पर कब्जा कर लिया। जब उक्त मामला चर्चाओं में आया और सोशल मीडिया की सुर्खियां बने लगा तो नपा तहसील प्रशासन ने संयुक्त रूप से जांच की तो सामने आया कि खसरा नंबर 1065 क्षेत्र के असमत, अमीर आलम, अखलाख, आलिम और आलम निवासी कोटला मेवातियान के नाम पर है। इस रकबे पर से ही सरकारी पानी की पाइपलाइन की जमीन भी है। वहीं खसरा नंबर 1064 पर दिलशाद व आमिर के नाम दर्ज हैं। इस पर भी पाइपलाइन की जमीन है। उक्त दोनों खसरा नंबर पर 710 वर्ग मीटर पालिका की है। तहसील प्रशासन व नपा के अधिकारियों ने पिछले दिनों सरकारी जमीन की किसानों की सहमति से पैमाइश कराकर तारबंदी कराते हुए चेतावनी बोर्ड लगा दिया था। उक्त जमीन पर अवैध रूप से भू—माफिया द्वारा प्लाटिंग की जा रही है। सूत्रों की मानें तो नपा के कर्मचारियों ने भू—माफिया से लाखों रुपये लेकर करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन पर कराई गई तारबंदी और पोल तथा बोर्ड को उखाड़कर गायब करा दिया। सरकारी जमीन कब्जा कर जोताई करा दी। इस मामले में पालिका के प्रभारी ईओ-एसडीएम मनोज कुमार व सदर एसडीएम अंकित कुमार वर्मा ने आरोपियों पर रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए। संपत्ति विभाग की ओर से आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी गई। वही जिला प्रशासन के 18 लाख रुपये के लेनदेन कर सरकारी जमीन पर कब्जा कराने की जानकारी ने नींद उड़ी दी। अधिकारियों के संज्ञान में आया है कि उक्त जमीन पर कब्जा पालिका के संपत्ति विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से किया गया। इसके लिए संबंधित लिपिक को 18 लाख रुपये दिए गए। जिसके संबंध में शिकायत पालिका चेयरमैन को भी प्राप्त होने पर पालिका विभाग में भी हड़कंप मच गया। प्रभारी ईओ-एसडीएम मामले की जांच शुरू कर दी है। एसडीएम सदर अंकित कुमार और प्रभारी तहसीलदार सदर प्रवीण कुमार ने बताया कि उक्त खसरा नंबर में पालिका की पाइपलाइन की जमीन है। पैमाइश कराकर उस पर तारबंदी करा दी गई थी। आरोपियों द्वारा अब उसको उखाड़ फेंका है। ऐसे में दोबारा से पैमाइश कराकर जमीन पर पालिका को कब्जा दिलाया जाएगा। अधिकारी कहिन प्रभारी ईओ-एसडीएम मनोज कुमार का कहना है कि हमने तार, पोल और बोर्ड को उखाड़कर फेंकने और जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करा दी है। पालिका के एक लिपिक की रुपये लेने की शिकायत मिली है। शिकायत के आधार पर जांच की जा रही है। आये दिन भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी पालिका में बैठे जिम्मेदार पालिका व उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले के खिलाफ कार्रवाई करने के दावे हास्य पद साबित हो रहे है। नपा के चेयरमैन पति श्रीपाल सिंह का भी दावा कुछ इस प्रकार है कि पालिका की एक इंच जमीन पर भी किसी का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। मैंने स्पष्ट कह दिया है कि कब्जा करने वाले और उनको सहयोग करने वाला पालिका का कर्मचारी नहीं बच पाएगा। इन सभी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।