स्वरोजगार की तरफ बढ़ रहे कदम, बैंकों में लग रही अड़चन

हापुड़ – कोरोना काल में बैंकों की आनाकानी रोजगार की राह में सबसे बड़ी बाधा बन गई है। बैंकों में स्वरोजगार लाभार्थियों के दर्जनों आवेदन लंबित हैं। फाइलें धूल फांक रही हैं। बैंक प्रशासन तरह-तरह के नियमों का हवाला देकर स्वरोजगार आवेदनों को स्वीकृति देने में आनाकानी कर रहा है। इससे स्वरोजगार लाभार्थियों की मुश्किलें बढ़ गई है। उद्योग विभाग की रिपोर्ट बैंक प्रबंधनों की ओर कई सवाल खड़े कर रही है।

सरकार इस समय स्वरोजगार को लेकर तमाम योजनाएं चला रही हैं। इनमें प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना और एक जनपद एक उत्पाद जैसी बड़ी योजनाएं शामिल हैं। सभी स्वरोजगार योजनाएं बैंकों पर आश्रित हैं। योजनाओं के लिए चयनित लाभार्थियों की फाइल ऋण के लिए बैंकों में भेजी जाती हैं, लेकिन बैंक इस पर कार्रवाई में सुस्ती बरत रहे हैं। जनपद में मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत जिले को 35 और एक जनपद एक उत्पाद योजना के तहत 80 लोगों को लाभ देने का लक्ष्य शासन से मिला है। जिसके क्रम में जून माह में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में 43 आवेदन विभाग द्वारा बैंकों को भेजे गए। बैंकों ने 10 आवेदन स्वीकृत किए, जिनमें से सिर्फ दो लाभार्थियों को 8.75 लाख रुपये का ऋण मिला। जबकि एक जनपद एक उत्पाद योजना में 80 लक्ष्य के सापेक्ष 39 आवेदन बैंकों को भेजे गए। जिनमें से बैंकों ने सिर्फ सात आवेदन स्वीकृत किए और एक लाभार्थी को 10 लाख रुपये का ऋण दिया। इसी प्रकार प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना के अंतर्गत जून माह में उद्योग विभाग में 32 आवेदन पत्र बैंकों को भेजे। जिनमें से सात आवेदन स्वीकृत किए गए हैं। जबकि दो लाभार्थियों को छह लाख रुपये का ऋण दिया गया है।

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