
प्राधिकरण में वर्षो से तैनात अधिकारी सरकार के आदेशों की उड़ रहे है धज्जियां
हापुड़ – योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही एनसीआर,कमिश्ननरी जिलों के विभाग में वर्षों से तैनात अधिकारियों पर कार्यवाही करने के लिए तत्कालीन मुख्य सचिव राहुल भटनागर को स्थानांतरण नीति बनाने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद वर्षो से तैनात अधिकारियों एवं कर्मचारियों में खलबली मच गई थी। शासन ने उक्त शासनादेश के आधार पर प्रदेश के समस्त विभागों सहित सभी जिलों में वर्षो से तैनात अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सूची मांगनी शुरू का दी थी। वही सत्ता और शासन में अपने धन बल एवं रसूख के दम पर प्राधिकरण में तैनात चंद अधिकारियों ने स्थानीय एवं शासन में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों से सांठगांठ कर योगी सरकार की नीतियों की धज्जियां उड़ाकर पिछले 10 वर्षो से प्राधिकरण में जमे हुए है। आपको बता दे कि जिले के विकास में अहम जिम्मेदारी निभाने वाले हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण आजकल अपने कारनामों को लेकर सुर्खियां बटोर रहा है। वर्षो से प्राधिकरण में तैनात चंद भ्रष्ट अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप हो या नियम विरुद्ध अवैध निर्माण कराने के मामलों को लेकर सरकार व उच्च अधिकारियों की छवि को धूमिल कर रहे है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनावों में भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दे बनाकर चुनाव लड़ा था। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश की जनता से किये वादों पर खरा उतरने के लिए संगठन ने योगी आदित्यनाथ पर भरोसा जताते हुए विधायक दल का नेता घोषित कर दिया था। योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही एनसीआर,कमिश्ननरी एवं जिलों के विभाग में वर्षो से तैनात अधिकारियों एवं कर्मचारियों को चिन्हित कर उनके स्थानांतरण करने के निर्देशों के साथ-साथ तत्कालीन मुख्य सचिव रहे राहुल भटनागर को स्थानांतरण नीति बनाने के निर्देश दे दिए थे। मुख्य सचिव रहे राहुल भटनागर ने 3 मई 2017 एक शासना आदेश बनाकर प्रदेश के राज्यपाल सहित समस्त विभागों के प्रमुख सचिवों,कमिश्नरों जिला अधिकारियों अन्य विभागों के उच्च अधिकारियों को भेज दिया। मगर लगता है। कि योगी सरकार का उक्त शासनादेश पिछले करीब आठ वर्षों से हापुड़ पिलखुवा विकास प्राधिकरण के उच्चाधिकारियों मिला ही नहीं है,या प्राधिकरण में पिछले 10 वर्षों से तैनात अधिकारियों का सिस्टम सरकार के शासनादेश से भी मजबूत है। जहां उक्त शासनादेश में जिले में 3 वर्ष एवं मंडल में 7 वर्ष का कार्य करने का प्रावधान हैं। वह पिछले 10 वर्षो से किस के दम पर किस सिस्टम से जुड़कर शासनादेश की धज्जियां उड़ा रहे है। शासनादेश के जानकारों का कहना कि कांठ की हांडी ज्यादा दिनों तक नहीं चढ़ती है। जिस दिन प्रदेश की योगी सरकार को इन अधिकारियों के कारनामों की जानकारी हो गई, तो वर्षों से प्राधिकरण में जमे अधिकारियों को सत्ता और शासन में बैठे आंका भी इन्हें पहचानने से इंकार कर देगें।