हापुड़ की मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी मार्कशीट छापने बांटने का भंडाफोड़, यूनिवर्सिटी के चांसलर विजेंद्र सिंह हुड्डा सहित 10 आरोपी गिरफ्तार ।

*हापुड़:* उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुवा क्षेत्र में स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री और मार्कशीट बनाने वाले गिरोह का एसटीएफ ने भंडाफोड़ किया है. शनिवार को लखनऊ मुख्यालय की एसटीएफ टीम ने विश्वविद्यालय परिसर में छापा मारा, जिसमें विश्वविद्यालय के चेयरमैन चौधरी विजेंद्र सिंह हुड्डा और प्रो-चांसलर नितिन कुमार सिंह समेत कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया. भारी संख्‍या में पुलिस कर्मी और अफसर की मौजूदगी में यहां कार्रवाई की गई. पुलिस के काफिले के कारण इलाके में सनसनी थी और लोगों को यहां हुए बड़े एक्शन के बारे में पता चला.

एसटीएफ की टीम ने करीब 5 घंटे तक विश्वविद्यालय परिसर में जांच-पड़ताल की. इस दौरान 1,372 फर्जी डिग्रियां, 262 फर्जी प्रोविजनल और माइग्रेशन सर्टिफिकेट, ₹6.54 लाख नकद, दो कारें, लैपटॉप, डेस्कटॉप, सीसीटीवी फुटेज, हार्ड डिस्क, प्रिंटर और 36 लग्जरी गाड़ियों की चाबियां बरामद की गईं. हालांकि पुलिस ने अन्‍य चीजों की बरामदगी के बारे में स्‍पष्‍ट जानकारी नहीं दी है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यहां से बड़ी संख्‍या में ऐसे सबूत भी मिले हैं जिससे यह साफ होता है कि आरोपियों के गैर कानूनी काम यहीं होते थे. ये मनचाही डिग्री, मार्कशीट और अन्‍य प्रमाण पत्र बनाकर बेच रहे थे.

*फर्जी डिग्री बेचने का काम, 5 लाख रुपए तक वसूले*
एसटीएफ के अनुसार, यह गिरोह विभिन्न कोर्सों की फर्जी डिग्रियां बनाकर छात्रों को ₹50,000 से ₹5 लाख तक में बेचता था. इन डिग्रियों का उपयोग सरकारी और निजी नौकरियों में किया जाता था. गिरोह के सदस्य विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में कार्यरत थे, जो इस फर्जीवाड़े में शामिल थे. इस जगह से मनचाही डिग्री और अन्‍य दस्‍तावेज गैरकानूनी तरीके से तैयार किए जाते थे.

*मुख्य आरोपी का पुराना इतिहास भी चौंकाने वाला*
मुख्य आरोपी चौधरी विजेंद्र सिंह हुड्डा पहले भी चर्चित बाइक बोट घोटाले में मास्टरमाइंड रह चुका है. उसके खिलाफ 100 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं. अब वह मोनाड यूनिवर्सिटी के माध्यम से फर्जी डिग्रियों का कारोबार चला रहा था.

*जांच का दायरा बढ़ा रही एसटीएफ, दोषियों को मिलेगी कड़ी सजा* 
एसटीएफ प्रमुख अमिताभ यश ने इस कार्रवाई को संगठित घोटाले का हिस्सा बताया है. उन्होंने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच को और विस्तृत किया जाएगा, ताकि दोषियों को कड़ी सजा दिलाई जा सके और शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता बनी रहे. एसटीएफ अब यह जांच कर रही है कि इन फर्जी डिग्रियों का उपयोग कहां और कैसे किया गया. इसके अलावा, यह भी देखा जा रहा है कि इस गिरोह के अन्य सदस्य कौन-कौन हैं और कितने लोग इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं.

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