प्राईमारी स्कूल की छत से गिरा प्लास्टर,दो मासूम घायल शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों पर उठे सवाल

हापुड़— (प्रवीण शर्मा) संकट के बाद समाधान में जुटा शिक्षा विभाग बाबूगढ़ थाना क्षेत्र स्थित भमैड़ा गांव में शुक्रवार को उस समय हड़कंप मच गया जब प्राथमिक विद्यालय की कक्षा पांच में पढ़ाई के दौरान अचानक छत का प्लास्टर गिर गया। हादसे में तीन छात्र घायल हो गए, जिनमें दो की हालत गंभीर बताई जा रही है।

आपको बता दे कि हादसा उस वक्त हुआ जब कक्षा में 31 बच्चे मौजूद थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार छत का प्लास्टर पहली पंक्ति में बैठे बच्चों पर गिरा, जिससे 10 वर्षीय छात्रा फिजा और 11 वर्षीय छात्र आहिल गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि तीसरे छात्र को मामूली चोटें आईं। आनन-फानन में घायलों को एंबुलेंस की मदद से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। हादसे के बाद विद्यालय परिसर में अफरा-तफरी मच गई। शिक्षक और स्थानीय ग्रामीण बच्चों को सुरक्षित बाहर निकालने में जुट गए। सूचना मिलते ही कोतवाली बाबूगढ़ की पुलिस टीम तथा प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। प्राथमिक जांच में विद्यालय भवन को जर्जर एवं असुरक्षित पाया गया है। कोतवाली प्रभारी महेंद्र सिंह ने बताया कि दो बच्चों की हालत गंभीर है, जिन्हें बेहतर इलाज के लिए रेफर किया गया है। कक्षा को तत्काल खाली करवा दिया गया है और भवन की तकनीकी जांच कराई जा रही है। इस हादसे के बाद अभिभावकों और ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। उनका आरोप है कि स्कूल की जर्जर हालत के बारे में कई बार अधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और भवन की पुनः जांच की मांग की है। यह घटना न केवल शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं भी पैदा करती है। यदि समय रहते कार्रवाई न होती, तो यह हादसा और भी बड़ा हो सकता था। यह आवश्यक है कि सरकारी विद्यालयों की नियमित जांच सुनिश्चित की जाए और लापरवाही बरतने वाले जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाए, ताकि भविष्य में बच्चों की जान जोखिम में न पड़े। वही शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों की भूमिका महाभारत की गांधारी की तरह नजर आ रही है।

राजस्थान की घटना से नही लिया सबक……..

कुछ दिन पूर्व राजस्थान के झालावाड़ में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से सात मासूमों की दर्दनाक मौत हो गई थी। जिसके बाद शिक्षा मंत्रालय ने सभी जिलों के सभी स्कूलों और उन सार्वजनिक स्थलों जहां बच्चे और किशोर नियमित रूप से आते-जाते हैं, वहां राष्ट्रीय सुरक्षा संहिताओं और आपदा प्रबंधन दिशानिर्देशों के अनुसार सुरक्षा ऑडिट इमारतों की मजबूती,अग्नि सुरक्षा,आपातकालीन निकास मार्ग और बिजली वायरिंग की जाँच करने के निर्देश दिए थे।

जिलाधिकारी द्वारा जारी बयान

घटना के बाद जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए स्कूल की बिल्डिंग को लेकर सवाल खड़े किए हैं। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि यह जांच की जाए कि आखिर इस विद्यालय को फिटनेस प्रमाणपत्र किस आधार पर दिया गया।

इसके लिए एसडीएम के नेतृत्व में लोक निर्माण विभाग (PWD) के अभियंताओं समेत एक जांच समिति गठित की गई है, जो यह निर्धारित करेगी कि फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करने में कहीं कोई लापरवाही तो नहीं हुई।

डीएम ने कहा कि—

“इस घटना को चेतावनी के रूप में लिया जाए। जिले के सभी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों की फिटनेस जांच सात दिनों के भीतर पूरी कराई जाएगी। जिन विद्यालय भवनों को असुरक्षित पाया जाएगा, उन्हें तत्काल खाली कराकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”

प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अब तक उक्त विद्यालय को लेकर कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई थी, परंतु इस घटना के बाद यह भी जांच की जाएगी कि किन अधिकारियों ने फिटनेस प्रमाणपत्र जारी किया और क्या वह वास्तविकता के अनुरूप था। दोषी पाए जाने पर उनके विरुद्ध सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

जर्जर विद्यालय भवनों को लेकर डीएम का निर्देश है कि यदि कहीं भी खतरे की स्थिति है तो विद्यालय को तत्काल खाली कराया जाए और भवन को ‘असुरक्षित’ घोषित कर विधिसम्मत ढंग से ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया अपनाई जाए।

क्या कहती है जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी?

घटना के बाद जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) रितु तोमर से इस बारे में प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने मात्र इतना कहा, “भमैड़ा गांव के प्राइमरी स्कूल के एक कमरे की छत का प्लास्टर गिरा है। इसमें दो बच्चों को हल्की चोटें आई हैं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अब सभी बच्चे स्वस्थ हैं।”

वही बीएसए का यह बयान घटना की गंभीरता को नजरअंदाज करता प्रतीत हुआ और कहीं न कहीं जवाबदेही से बचने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। बच्चों की सुरक्षा को लेकर शिक्षा विभाग की लापरवाही एक बार फिर उजागर हो गई है, जहां स्कूल भवनों की नियमित जांच और मरम्मत जैसे ज़रूरी कार्यों की अनदेखी हो रही है।

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