
सवाल:— क्या हादसे का इंतजार तो नही कर रहे प्राधिकरण अधिकारी……..
हापुड़। प्रदेश की योगी सरकार ने सत्ता सभलते ही भ्रष्टाचार और भ्रष्ट अधिकारियों को ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत कार्य करने के निर्देश दिए थे। सरकार नीति एवं निर्देशों का प्राधिकरण के अधिकारियों पर मानों कोई असर ही नही पड़ता नही दिखाई दे रहा। शासन ने 29 जुलाई 2024 को प्रदेश के सभी प्राधिकरणों को पत्र लिखकर बेसमेंट निर्माण और उसके उपयोग को लेकर जारी किए गए सख्त निर्देशों के बावजूद, हापुड़ प्राधिकरण का ‘ऑपरेशन बेसमेंट’ दम तोड़ चुका है। अवैध बेसमेंट निर्माण और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए गठित जांच दल कागजों तक ही सीमित रह गए हैं, जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। आपको बता दे कि दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित एक कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में जलभराव से हुई तीन छात्रों की मौत की दर्दनाक दुर्घटना के बाद, शासन ने पूरे प्रदेश में बेसमेंट निर्माण और संचालन को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किए थे। इन आदेशों के तहत—अवैध बेसमेंट निर्माण,स्वीकृत मानचित्र के विपरीत किए गए निर्माणों,पर सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए गये थे। वही प्राधिकरण प्रशासन की अनदेखी के चलते अवैध बेसमेंटों का धंधा बदस्तूर जारी है। कई स्थानों पर बेसमेंट में पार्किंग की बजाय व्यवसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं, जिससे सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ रही हैं। वहीं, जांच दलों का गठन सिर्फ औपचारिकता साबित हो रहा है। कही प्राधिकरण के अधिकारी किसी हादसे का तो इंतजार नही कर रहे है। अगर किसी अप्रिय घटना में जान-माल का नुकसान होता है, तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? क्या शासन तब भी फाइलों में आदेशों की खानापूर्ति करता रहेगा? प्राधिकरण प्रशासन की इस निष्क्रियता से जनता में सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति पर सवाल उठने लाजमी है। 6 माह पूर्व हुए शासन के आदेश पर प्राधिकरण प्रशासन कबतक सख्त कार्रवाई करता है या फिर आदेशों को यूं ही धूल फांकने के लिए छोड़ दिया जाएगा। वही प्रभारी सचिव प्रवीण गुप्ता का कहना कि प्राधिकरण को जब शासन के प्राप्त हुए थे। उसी दौरान कई बेसमेंट पर कार्यवाही की गई थी और कई को नोटिस दिये गये थे। वही पुन:बेसमेंट में पार्किंग की बजाय अन्य व्यवसायिक गतिविधियां के संचालित गतिविधियों की जानकारी कर उनके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी। इस पर तो अदम गोंडवी चार लाईनें ही सटिक बैठती है। तुम्हारी फाइलों में शहर का मौसम गुलाबी है,मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है,उधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं,वो इधर परदे के पीछे बर्बरीयत है ,नवाबी है।
