15 वर्ष तक के बच्चों को प्रभावित करता है दिमागी बुखार

PU

हापुड़ । जनपद में दिमागी बुखार ने भी दस्तक दे दी है। ऐसे में अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अधिक सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। यह बुखार 15 वर्ष तक के बच्चों को अधिक प्रभावित करता है। बच्चों में होने वाला दिमागी बुखार उनके दिमाग पर भी असर डालता है। यह दिमाग में चढ़ जाता है और समय रहते यदि इलाज न किया जाए तो जानलेवा साबित हो सकता है। इलाज के बावजूद इस बीमारी से पीड़ित बच्चे के अपाहिज होने की संभावना प्रबल है। ऐसे में सावधान रहने की आवश्यकता है।

दिमागी बुखार मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी होने के साथ-साथ संक्रामक बीमारी है। दिमागी बुखार जब शरीर में पहुंचता हैं तो खून में जाकर उनका प्रजनन शुरू हो जाता है और इनकी संख्या बहुत तेजी से बढ़ने लगती है। ऐसे में चिकित्सक अभिभावकों को बुखार होने पर किसी भी हाल में लापरवाही न बरतने की सलाह दे रहे हैं। बुखार होने पर विशेषज्ञ चिकित्सकों से ही बच्चों का उपचार कराना चाहिए। खुद से कोई भी दवाई बच्चों को नहीं देनी चाहिए।बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. महरूफ ने बताया कि यदि बच्चे में दिमागी बुखार के लक्षण दिखाई दें तो उसे तत्काल उसका उपचार कराना चाहिए। बच्चे को एक शांत कमरे में, रोशनी से दूर आराम करने दें। यदि बच्चे को झटका आ रहा है तो उसे दाएं या बाएं करवट लेटा कर ही अस्पताल ले जाएं। उसकी गर्दन को सीधा रखें और अगर मुंह से झाग या लार निकल रहा है तो उसे समय-समय पर साफ करते रहें। ताकि, बच्चे को सांस लेने में कोई दिक्कत ना हो।

उन्होंने बताया कि दिमागी बुखार से बचाव के लिए टीका निर्धारित समय पर अवश्य लगवाएं। अत्यधिक गर्मी या धूप से बच्चे को दूर रखें। शरीर में पानी की कमी ना होने दें। उन्हें ताजा पका हुआ पौष्टिक एवं सुपाच्य भोजन खिलाएं।

रोग के लक्षण- बच्चों में सिर दर्द होना

– उल्टी व चक्कर आना- मिर्गी का दौरा पड़ना

– आंखों में दर्द होना- बेहोशी छा जाना