

हापुड़ – उत्तर प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का दावा कर रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे अलग नजर आ रही है। जिले में प्राधिकरण द्वारा लगातार नोटिस जारी करने के बावजूद अवैध निर्माणों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। प्राधिकरण में वर्षो से अपने रसूख के दम पर जमे अधिकारी अंगद का पैर साबित हो रहे है। जिनकी पकड़ रसूख के चलते उच्चधिकारी भी काले कारनामों पर गंधारी की भूमिका में नजर आ रहे है। आपको बता दे कि प्राधिकरण में वर्षों से अपने पदों पर जमे हुए कुछ अधिकारियों की निष्क्रियता और मिलीभगत के कारण अवैध निर्माणकर्ताओं के हौसले बुलंद हैं। जिसके चलते अवैध निर्माण रोकने में पूरी तरह विफल रहे हैं। ये अधिकारी नियम विरुद्ध निर्माणों पर महज़ नोटिस जारी कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। परिणामस्वरूप, क्षेत्र में अनधिकृत भवनों और व्यावसायिक परिसरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। उक्त अवैध निर्माणों की वजह से शहर की योजना और यातायात व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है। वहीं, सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। प्राधिकरण की लचर कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार के कारण सरकार की सख्ती का कोई असर नहीं दिख रहा। यदि नियम विरुद्ध बेरोकटोक जारी क्षेत्र में अवैध निर्माणों के खिलाफ जल्द ही सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो यह अनियंत्रित निर्माण शहर के बुनियादी ढांचे पार्किंग और नागरिक सुविधाओं के लिए गंभीर समस्या बन सकता है। वही उच्चधिकारी भी सब कुछ जानकर भी क्यों अंजान बने है। जो उचचधिकरियों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह उठ रहे है। अपनी पकड़ एवं रसूख के दम पर पिछले करीब दस वर्षो से प्राधिकरण में तैनात 2017 में बनी सरकार स्थानांतरण नीति की भी धज्जियां उड़ा रहे है। प्राधिकरण के प्रभारी सचिव प्रवीण गुप्ता का कहना है कि उपाध्यक्ष महोदय नितिन गोड़ के साफ निर्देश है। कि क्षेत्र में किसी प्रकार का अवैध निर्माण नही होने दिया जायेगा। अगर किसी भी अधिकारियों एवं कर्मचारियों भ्रष्टाचार में संलिप्ता पाई गई,तो उसके खिलाफ विभागिय कार्यवाही की जायेगी। किसी भी किमत पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नही किया जायेगा। सरकार कि नीति और नियम के तहत कार्य करें अधिकारी एवं कर्मचारी।