पौराणिक गढ़ गंगा मेले में अव्यवस्था का बोलबाला

गंगा मेले स्थल पर श्रद्धालु अपने परिवारों के साथ तंबू गाढक़र पड़ाव डाल रहे

गढ़मुक्तेश्वर। आधी अधूरी व्यवस्थाओं के बीच प्रारंभ हुए पौराणिक खादर मेले में श्रद्धालुओं समेत व्यापारियों के पड़ाव डालने का सिलसिला तेजी से बढ़ता जा रहा है, परंतु जन सुविधा अभी तक चाक चौबंद होनी संभव नहीं हो पा रही हैं।
उत्तर भारत के मिनी कुंभ के रूप में विख्यात गढ़ गंगा का पौराणिक मेला प्रशासनिक दृष्टि सेगुरुवार को विधिवत ढंग में प्रारंभ हो गया है। जिसमें व्यापारियों के साथ ही दूरदराज से श्रद्धालुओं का आगमन लगातार तेज होता जा रहा है। भले ही पुलिस, प्रशासन और जिला पंचायत विभाग के अधिकारी कुछ भी दावे करें, परंतु जमीनी हकीकत अभी तक पूरी तरह जुदा दिखाई दे रही है। क्योंकि अभी तक बाहरी छोर वाले जंगल में गन्ने की फसल खड़ी होने से तैयारी प्रभावित होने के साथ ही श्रद्धालुओं को अपने टैंट-तंबू गाढऩे को अपेक्षित स्थान की तलाश करने को मजबूर होना पड़ रहा है। आग की घटना होने के अलावा भी अपराधिक घटना होने का डर सता रहा है। मेला स्थल पर एक सेक्टर से दूसरे सेक्टर को जोडऩे वालीं अस्थाई सडक़ों का निर्माण कछुवा गति में रेंगने के साथ ही गड्ढों की भरमार होने से वे ऊबड़ खाबड़ हो रही हंै। हैंडपंप लगाने का काम भी तेजी नहीं पकड़ पा रहा है, जिससे पड़ाव डाल चुके श्रद्धालुओं को पानी की किल्लत से भी जूझना पड़ रहा है। जिला पंचायत विभाग का कार्यालय और शिविर भी अपेक्षित ढंग में नहीं लग पाए हैं, जबकि सदर संतर से थोड़ी दूरी के अलावा अस्थाई स्नानघाटों का निर्माण भी अधर में अटका हुआ है। सदर बाजार और मुख्य स्नान घाट के अलावा मेला क्षेत्र के दूसरे स्थानों पर अभी तक बिजली सप्लाई भी नहीं पहुंच पाई है।
मेलाधिकारी साक्षी शर्मा का कहना है कि जिला पंचायत के माध्यम से सभी जरूरी इंतजाम उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिनमें कोई भी ढिलाई अथवा लापरवाही नहीं होने दी जाएगी।