प्रधानमंत्री आवास योजना में एफडीआर घोटाला! टेंडर फर्जीवाड़े की सीएम से शिकायत



● अवकाश के दिन अधिकारियों सहित 50 कर्मचारियों कार्य क्षेत्र बदल बाबू को वीसी ने किया था सस्पेंड

हापुड़— प्रदेश की योगी सरकार समस्त ठेकों में पारदर्शिता लाने का प्रयास कर रही है। मगर अधिकारियों का वही एक सूत्रीय कार्यक्रम ना खाता ना बही जो हम करें वही सही तहत कार्य करते नजर आ रहे है। ऐसा ही एक मामला ग्राम हिंडालपुर में बन रहे प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत चार मंजिला 264 ईडब्ल्यूएस भवनों के निर्माण हेतु एक कम्पनी को 17 नवम्बर 2020 को ठेका जारी कर दिया। उक्त ठेके में करीब चार वर्ष बाद एचपीडीए के अधिकारियों के कारनामे उजागर होने से अधिकारियों के भ्रष्टाचार के एक और खेल को आरटीआई कार्यकर्ता ने उजागर कर दिया। ठेका लेते वक्त एचपीडीए को दी जाने वाली धरोहर राशि करीब 84 लाख कम्पनी ने एचपीडीए के अधिकारियों से सांठगांठ कर अपने ही नाम में बनवा ली। खुलासा होने के बाद प्राधिकरण के अधिकारियों में हड़कंप मच गया। पिछले दिनों वीसी ने एक बाबू को सस्पेंड कर दिया। वही अवकाश पर गये अधिकारी ने अवकाश के दिन अधिकारियों सहित 50 कर्मचारियों के कार्यक्षेत्र बदल डाले। आरटीआई कार्यकर्ता ने सीएम से शिकायत कर मामले की जांच कराने की मांग की है। आपको बता दे कि केंद्र की मोदी व प्रदेश की योगी सरकार की गरीबों को आवास देने वाली महत्वपूर्ण योजनाओं में शुमार प्रधानमंत्री आवास योजना जिसका लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में भाजपा को इसका लाभ मिला जिसके चलते देश प्रदेश की दोनों सरकारों को दूसरी बार सत्ता पर काबिज हो गई थी। दोनों सरकारों की मंशा को दरकिनार कर एचपीडीए के अधिकारियों सत्ता व शासन में अपनी कामयाबी के रेत के ढेर से बने के बडे—बडे कार्यो का सपना व दावा दिखाकर वाहवाही लूट रहे है। आरटीआई कार्यकर्ता रामभरोसे तोमर ने करीब चार वर्ष पूर्व हुए एफडीआर घोटाले के खुलासे ने एचपीडीए के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है। पिलखुवा के हिंडालपुर में (दस करोड़ एक लाख बासठ हजार पांच सौ सत्तावन रुपये तेईस पैसे) की लागत से बनने वाले प्रधानमंत्री आवास योजना चार मंजिला भवनों का ठेका जिस कम्पनी को दिया गया। उक्त टेंडर के एवज में एचपीडीए को दी जाने वाली धरोहर राशि करीब चौरासी लाख रुपये एचपीडीए के अधिकारियों से सांठगांठ कर कंपनी के स्वामियों ने अपनी कम्पनी के नाम करा लिए। जिसका खुलासा होने पर एचपीडीए के अधिकारी मामले को दबाने के प्रयास में जुट गये। सूत्रों की मानें तो वीसी डॉ.नितिन गौड़ ने पिछले दिनों अधिकारियों एवं कर्मचारियों को उनके अनैतिक कार्यो के लिए जमकर फटकार लगाते हुए एक बाबू संजय अग्रवाल को भ्रष्टाचार सहित कई अनैतिक कार्यो में शामिल पाये जाने पर सस्पेंड कर मामले की जांच अधिशासी अभियंता विद्युत तेजवीर सिंह को सौंप दी थी। स्थानांतरण विवाद में फंसे प्राधिकरण प्रभारी सचिव प्रवीण गुप्ता ने छुट्टी पर चले गये और 6 अप्रैल दिन रविवार को अवकाश के दिन अधिकारियों सहित 50 कर्मचारियों के कार्यों का स्थानांतरण कर प्राधिकरण विभाग में हड़कंप तो मचा ही दिया साथ ही स्थानांतरण के एक और विवाद को जन्म दे दिया। प्राधिकरण के कई अधिकारियों ने योगी सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी में अपने रसूख का एहसास करा दिया। योगी सरकार स्थानांतरण पॉलिसी 03 मई 2017 के अनुपालन में गाजियाबाद से ट्रांसफर के संकेत मिलने पर अधिकारियों ने अपने जुगाड़ का इस्तेमाल कर गाजियाबाद से महज 35 किमी दूर हापुड़ के विकास प्राधिकरण में स्थानांतरण करा शासन में अपनी रसूख व रुतवे का अहसास कराते हुए मेरठ कमिश्नरी में ही कराकर अपने तत्कालीन संबंधों का आनंद ले रहे है। वही आरटीआई कार्यकर्ता राम भरोसे तोमर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मामले में जांच की मांग की है। जिससे प्राधिकरण के अधिकारियों को एसी में पसीने आने लगे है। प्राधिकरण के प्रभारी सचिव तेजवीर सिंह का कहना है कि उन्हें उक्त मामले की जानकारी नही है। जानकारी कर आपको अवगत करायेगें। जिसके बाद उन्होंने पीएमवाई योजना देख रहे अवर अभियन्ता अजय सिंहल को फोन कर जानकारी देने को कहां अजय सिंहल से जानकारी करने पहुंचे तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उनके पास तो कुछ दिन पूर्व ही चार्ज आया है। जिस पर उन्होंने अवर अभियंता पीयूष जैन को जानकारी होने की बात कही पीयूष जैन से बात कि गई उन्होंने कहा मामला बहुत पुराना उन्हें याद नही। राम भरोसे की शिकायत के बाद लगता है। कि राम भरोसे से ही चल रही एचपीडीए की योजनाएं।