एफडीआर घोटाला प्राधिकरण में मचा हड़कंप,बैंक को पत्र भेजकर जांच में जुटे अधिकारी



● प्राधिकरण के अधिकारियों ने पीएमवाई योजना लेट होने पर कंपनी पर लगाया था एक लाख रूपये का आर्थिक दंड लगाकर की कार्रवाई की इतिश्री 

हापुड़— प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाये जाने वाले चार मंजिला 264 ईडब्ल्यूएस भवनों के निर्माण के लिए छोड़े गए टेंडर में हुए एफडीआर घोटाले की परत दर परत अब खुलने लगी है। अधिकारियों में बेचैनी बढने लगी है। उनके काले कारनामों का अब हिसाब ना होने लगे। जिसको लेकर प्राधिकरण के अधिकारियों ने बैंक पत्र भेज जानकारी मांगी है कंपनी द्वारा उक्त एफडीआर कही कैश तो नहीं कराली गई है। जिसको लेकर अब कंपनी में स्वामियों हडकम्प मचा हुआ है। आपको बता दे कि केंद्र की मोदी व प्रदेश की योगी सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं में शुमार प्रधानमंत्री आवास योजना जिसको लेकर दोनों ही सरकारें गंभीर बनी हुई है। क्योंकि  देश व प्रदेश की सत्ता तक पहुंचने में उक्त योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। दोनों सरकारों की मंशा को दरकिनार कर प्राधिकरण के अधिकारी सत्ता व शासन उच्च अधिकारियों को गुमराह कर रहे। अपने—अपने कार्यकाल के दौरान प्राधिकरण में अपनी कामयाबी के रेत के ढेर से बने के बडे—बडे किर्तिमान स्थापित करने में लगे हुए जो जमीनी हकीकत से कोसो दूर है। शासन में बैठे उच्चाधिकारियों को गुमराह कर वाहवाही लूट रहे है। सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को रहने के लिए दिये जाने वाले भवनों के टेंडर अपने निजी स्वार्थ के चलते अनियमितता एवं घोर लापरवाही कर लाखों का चूना प्राधिकरण को लगा दिया। वही पिलखुवा के हिंडालपुर में (दस करोड़ एक लाख बासठ हजार पांच सौ सत्तावन रुपये तेईस पैसे) की लागत से बनने वाले प्रधानमंत्री आवास योजना चार मंजिला भवनों का ठेका जिस कम्पनी को दिया गया। उक्त को ठेके की एवज में एचपीडीए को दी जाने वाली धरोहर राशि करीब चौरासी लाख रुपये एचपीडीए के अधिकारियों से सांठगांठ कर कंपनी के स्वामियों ने अपने नाम करा लिए। जिसका खुलासा होने पर एचपीडीए के अधिकारियों मामले को दबाने में जुटे है। सूत्रों की मानें तो उक्त एफडीआर घोटाले को करने के लिए अधिकारियों में निजी लाभ के लिए लाखों रुपये की बंदर बांट हुई थी। कम्पनी पर किस कदर मेहरबान है प्राधिकरण के अधिकारी इस बात से लगा जा सकता है। जिस कार्य को 11 मई 2022 को पूर्ण करना था उसे वह आजतक नही कर पाई। जिसको लेकर प्राधिकरण के अधिकारियों ने मात्र एक लाख रुपये का आर्थिक दण्ड लगाकर 9 माह की समय अवधि बढ़ाते हुए कार्रवाई की इतिश्री कर ली। जिसके बाद से उक्त कम्पनी पर किसी भी अधिकारी ने पेनल्टी लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। आजतक महत्वपूर्ण योजना कार्य कछुआ गति से चल रहा है। सूत्र बताते है कि उक्त कंपनी का स्वामी राजनैतिक व मजबूत पकड़ एवं रसूख वाला है जिसके चलते कंपनी प्राधिकरण का हर अधिकारी उसके इशारे पर कार्य करता है। जब उक्त मामले में प्राधिकरण के अधिकारियों से वार्ता की गई तो उन्होंने उक्त टेंडर के बारे में कोई जानकारी नहीं होने की बात कही फिर उन्होंने फाईल नही मिलने का बहाना बनाते कोई जानकारी देने से बचते रहे। मगर नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि उक्त टेंडर की एफडीआर की जांच के लिए बैंक से पत्राचार किया गया हैं। वही प्राधिकरण के प्रभारी सचिव के छुट्टी पर जाने के बाद चार्ज संभाल रहे तेजवीर सिंह का कहना कि उन्हें उक्त मामले की जानकारी नहीं है। कुछ दिनों में प्रभारी सचिव प्रवीण गुप्ता आ जाएंगे वह आपको उक्त टेंडर के बारे में जानकारी दे देगें।

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