रमजान पाक माह में यतीम, मिस्कीनों की दिल खौलकर मदद करे मुस्लिम समुदाय के लोग : मास्टर वकील चौधरी


● इस्लामिक कैलेंडर का नवां महीना है रमजान : मास्टर वकील चौधरी देहरा


धौलाना। 2 मार्च रविवार से चल रहे रमजान के पाक माह के बारे में जानकारी देते हुए समाजसेवी मास्टर वकील चौधरी देहरा ने बताया कि इस्लामिक कैलेंडर के नवां महीना रमजान का होता है। रमजान के पाक महीने में अल्लाह बंदों के लिए जन्नत के दरवाजे खोल देता है। रोजा अल्लाह का दिया नायाब तोहफा है। रमजान महीने में अकीदतमंद खुद को अल्लाह के लिए समर्पित कर देता है और गुनाहों से बचकर पूरे माह रोजा रख इबादत  करके अल्लाह के बंदे उसको राजी करते हैं।उन्होंने कहा कि रमजान के पाक माह में मुसलमानों की चाहिए की ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की इबादत करें व कुराने पाक की तीलावत करे।  व अपनी हैसियत सहूलियत के मुताबिक गरीब, यतीम, मिस्कीन, बेसहाराओं की दिल खौलकर मदद करे और अल्लाह तआला की खुशनूदी हासिल करें।

रमजान के तीनों अशरों का है अपना महत्व – वकील चौधरी के अनुसार, रमजान माह के शुरुआती 10 दिन को पहला अशरा कहा जाता है, जिसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमतें नाजिल करता है, अगले 10 दिन दूसरे अशरे में अल्लाह अपने बंदों पर मगफिरत नाजिल करता है, जिसमें अकीदतमंद अपने मरहूम बुजुर्गों के मगफिरत की दुआ मांगते हैं। जबकि अंतिम 10 दिनों के तीसरे अशरे में अल्लाह अपने बंदों को सलामती /निजात जहन्नुम से आजादी अता फरमाता है। इसी पाक रमजान के महीने में नबी मोहम्मद साहब पर कुरआन नाजिल किया था। पवित्र कुरआन ए पाक नाजिल होने से रमजान महीने का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसके अलावा रमजान जकात, खैरात और सदका देने का महीना भी है। इसी माह में गरीबों की मदद करना अन्य महीनों से ज्यादा अच्छा माना गया है, जिसमें जिससे गरीब लोग भी ईद का त्योहार हंसी खुशी से मना सकें।

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