भारत के 1 लोकल भाषा कन्टेंट प्लेटफार्म डेलीहंट और एएमजी मीडिया नेटवर्क्स ने हाल ही में भारत के अगले बड़े स्टोरी टेलर्स को चुनने की तलाश पूरी कर ली है। चार महीने के मेंटॉरशिप प्रोग्राम में देश के अग्रणी मीडिया हाउस और मीडिया संस्थानों में ट्रेनिंग शामिल है। फाइनल दौर में पहुंचे 20 फाइन लिस्टों ने अपने प्रोजेक्ट्स प्रस्तुत किए, जिनमें से 12 को विजेता चुना गया। जूरी में डेलीहेंट के संस्थापक वीरेंद्र गुप्ता, एएमजी मीडिया नेटवर्क्स लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रधान संपादक संजय पुगलिया समेत इंडस्ट्री से जुड़े अन्य कई दिग्गज शामिल थे।
साइंस की छात्रा राधिका की परफॉरमेंस आर्ट्स में रही रुचि
गाजियाबाद की राधिका नायर फिलहाल बायोटैक्नोलॉजी में मास्टर्स कर रही हैं। साइंस की छात्रा होने के बावजूद उन्हें हमेशा से परफॉरमेंस आर्ट्स में रुचि है और वह थियेटर, डांस, पब्लिक स्पीकिंग जैसे क्षेत्रों में बचपन से सक्रिय रही हैं। राधिका का मानना है कि स्टोरी फॉर ग्लोरी प्रोग्राम, वीडियो स्टोरी, टैलिंग में उनकी दिलचस्पी को आगे बढ़ाने, इसमें हुनर को धार देने के लिहाज से उनके लिए उपयुक्त अवसर है। अपनी फाइनल वीडियो, प्रेजेंटेशन के लिए राधिका ने गाजीपुर लैंडफिल के युवा रैगपिकर्स की हृदय विदारक स्टोरी और उनके संघर्षों को चुना था। इस प्रोग्राम की विजेता चुने जाने के बाद वह अपने पैरेंट्स को स्टोरीटैलिंग के अपने रुझान के प्रति आश्वस्त करने के साथ-साथ मीडिया इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए तैयार हैं।
रक्षित ने इंजीनियरिंग छोड़कर चुनी जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा की राह
एबी टैक ग्रेजुएट और जर्नलिस्ट रक्षित कुमार ने कक्षा 8 से ही अखबार पढ़ने की आदत बना ली थी। उनकी यह आदत धीरे-धीरे मजबूत होती रही और आगे चलकर इसमें उनकी रुचि इतनी बढ़ गई कि इंजीनियरिंग में करियर बनाने का ख्याल छोड़कर उन्होंने जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा की राह चुनी स्टोरी फॉर ग्लोरी ने रक्षित को स्टोरी तैयार करने की प्रक्रिया से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी और साथ ही खबरों तथा मीडिया की दुनिया की असलयित से भी रूबरू कराया। रक्षित ने अपनी फाइनल प्रस्तुति में भारत के घरेलू कामगारों की दयनीय स्थिति को पेश किया। वह इस प्रोग्राम से मिली ट्रेनिंग और अनुभवों को जर्नलिज्म में अपने कॅरियर के दौरान इस्तेमाल करने का इरादा रखते हैं।
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