
गाजियाबाद — योगी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंसी नीति को नगर पालिका मोदीनगर के ईओ ने ठेंगा दिखाते हुए अपने चहेते को फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर टेंडर दे दिया। डेढ वर्ष पूर्व हुए एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) के टेंडर में ईओ ठेकेदार सहित कई अधिकारियों ने नगर पालिका को करोड़ो रुपये का वित्तीय चुना लगा कर लाखों रुपये की बंदर बांट कर रहे है। उक्त मामले की शिकायत ईओ और चेयरमैन से की गई। तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया ऐसे छोटे मोटे मामले चलते रहते है। अब शासन द्वारा जांच के आदेश के बाद मोदीनगर नगर पालिका में हड़कंप मचा हुआ है। आपको बता दे कुछ दिनों पूर्व सुभाष देशवाल ने फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर एक निजी कंपनी मै० ख्याति बिल्ड वैल द्वारा टेंडर हासिल करने के मामले में चेयरमैन सहित ईओ से शिकायत की थी। शिकायत के बाद भी ठेकेदार व ईओ की सांठगांठ से उक्त ठेका लगातार संचालित हो रहा है। जिससे प्रति वर्ष करोड़ों रुपये की बिलिंग मै० ख्याति बिल्ड वैल कंपनी को कर रहे है। मोदीनगर नगर पालिका के भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से संचालित हो रहे ठेके की शिकायत शासन में की गई। जिसके बाद उक्त मामले शिकायत शासन में बैठे उच्चाधिकारियों से की गई। शासन में बैठे अधिकारियों ने उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते मामले में जांच के आदेश दे दिया। जिसके बाद मोदीनगर नगर पालिका के चेयरमैन सहित पालिका के अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। शासन ने जिला प्रशासन से जांच के बाद रिपोर्ट मांगी है। जिसके बाद उक्त भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। वही शिकायतकर्ता का कहना है कि नगर पालिका के अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी करते हुए। मै० ख्याति बिल्ड वैल कंपनी लाखों रुपये का लाभ पहुंचाते हुए।अधिकारियों ने अपने निजी स्वार्थ के चलते नगर पालिका को करोड़ों रुपये का चूना लगा दिया। वही अधिकारियों की बेखौफ भ्रष्ट नीति पर योगी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंसी नीति को पलिता लगा रहे है। जब इस मामले में ईओ नरेंद्र मोहन मिश्रा से बात करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने पहले यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उन्हें मामले की कोई जानकारी नहीं है और न ही उनके पास अभी फाइल है। लेकिन जब उनसे बार-बार संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन उठाना भी बंद कर दिया। इस मौन से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि मामले में कुछ गड़बड़ जरूर है।