
गाजियाबाद — योगी सरकार के आठ वर्ष पूरे होने पर जहां सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंसी नीति के तहत कार्य करने का बखान हो रहा है। वही नगर पालिका परिषद मोदीनगर के प्रशासनिक अधिकारी सरकार की नीति मखोल उड़ा रहे है। जिसका खुलासा आरटीआई में मांगी सूचना से हुआ। एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) के टेंडर लेते समय मै० ख्याति बिल्ड वैल कंपनी द्वारा लगाये गये अन्य कंपनियों के अनुभव प्रमाणपत्रों की बिना जांच किये अधिकारियों ने जिम्मेदारी की इतिश्री कर ली। फर्जी कम्पनी के खाते में करोड़ों रुपये की धनराशि जारी कर दी। आपको बता दे कि पिछले एक माह से सुभाष देशवाल नामक व्यक्ति ने फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर मै० ख्याति बिल्ड वैल कंपनी द्वारा टेंडर हासिल करने का आरोप लगाया था। जांच व कार्रवाई की मांग को लेकर जिसकी शिकायत स्थानीय अधिकारियों व शासन में बैठे उच्चाधिकारियों से की गई। वही भ्रष्टाचार के खेल में आरटीआई में एक और खुलासा होने से अधिकारियों में हडकम्प मचा हुआ है। आरटीआई के जबाब में नगर पालिका ने जानकारी देते हुए। मै० ख्याति बिल्ड वैल कंपनी द्वारा टेंडर के दौरान अन्य कंपनियों के लगाये गये अनुभव प्रमाणपत्रों की जांच पालिका के अधिकारियों द्वारा नही की गई। उक्त एसआर कस्टकशन,अनंत वाटर सलूशन,सुप्रिया कस्टकशन कंपनियों के स्वामियों से बात की गई तो उन्होंने उक्त एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) क्षेत्र में आजतक कोई कार्य किया ही नही और ना ही हम किसी मै० ख्याति बिल्ड वैल नामक कंपनी को जानते ही नही है। वही उक्त टेंडर में करोड़ों रुपये के भ्रष्टचार के खेल में जांच होने के बाद बडे खुलासे से इंकार नही किया जा सकता किसके इशारे पर ये खेल खेला जा रहा था। जो योगी सरकार की छवि को धुमिल कर रहा है। वही सूत्रों की माने तो चेयरमैन व ईओ की भूमिका भी उक्त मामले में संदिग्ध नजर आ रही है। वही सूत्रों की माने तो नगर पालिका परिषद के अधिकारी शिकायतकर्ता पर शिकायत वापिस लेने फैसला करने का दबाब बना रहे है। डीएम ने पहले मामले में जांच के आदेश एसडीएम को दे दिए। एसडीएम ने भ्रष्ट टेंडर खेल की जांच नायब तहसीलदार मुकेश शर्मा को दे दी है। कंपनी स्वामी व भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी जांच को पैसे व रसूख के दम पर रुकवाने की लगातार कोशिश कर रहे है। वही उक्त मामले में एसडीएम से उनके सीयूजी नम्बर पर कई बार बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन नही उठाया।