
● परमजीत हॉल में आयोजित गोष्ठी में राजपत्रित अधिकारियों और थाना प्रभारियों को दिए निर्देश
● FIR से लेकर सत्यापन प्रक्रिया और जनसुनवाई तक हर स्तर पर पारदर्शिता की होगी अनिवार्यता
● भ्रष्टाचार, अवैध गतिविधियों और दुर्व्यवहार पर होगी कठोर कार्रवाई
गाजियाबाद – पुलिस कमिश्नरेट के पुलिस आयुक्त श्री जे. रविन्दर गौड ने शुक्रवार को पुलिस लाइन्स स्थित परमजीत हॉल में आयोजित एक विशेष गोष्ठी में जनपद के समस्त राजपत्रित अधिकारियों व थाना प्रभारियों के साथ बैठक की। इस गोष्ठी में उन्होंने पुलिसिंग को अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और जनता केंद्रित बनाने के लिए कड़े दिशा-निर्देश जारी किए। कमिश्नर ने स्पष्ट रूप से निर्देशित किया कि थानों पर दर्ज की गई हर एफआईआर की एक प्रति संबंधित वादी के घर तक पहुंचाई जाएगी। इसके अलावा, किसी भी थाना क्षेत्र में सट्टा, जुआ, अवैध शराब, अवैध खनन अथवा भूमि कब्जे जैसी शिकायतें मिलने पर संबंधित थाना प्रभारी के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। कमिश्नर गौड ने जोर देकर कहा कि पुलिस से संबंधित शिकायती प्रार्थना पत्रों पर 24 घंटे के भीतर जांच अधिकारी द्वारा आवेदक से व्यक्तिगत संपर्क करना अनिवार्य होगा। बीट प्रणाली को सुदृढ़ किया जाएगा और विवेचना में किसी भी तरह के बदलाव (धारा जोड़ने/हटाने) से पहले उच्चाधिकारियों की अनुमति अनिवार्य होगी। पासपोर्ट, चरित्र सत्यापन सहित सभी सत्यापन प्रक्रियाएं पारदर्शी तरीके से होंगी और संबंधित पुलिसकर्मी मौके पर जाकर ही कार्य करेंगे। साथ ही थानों पर आने वाले फरियादियों के साथ शालीन व्यवहार, उचित सम्मान और त्वरित समाधान सुनिश्चित किया जाएगा। वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, बच्चों, दिव्यांगजनों एवं गरीबों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषी पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्यवाही की जाएगी।गुण्डा एक्ट या अन्य निरोधात्मक कार्रवाई करते समय तथ्यों और साक्ष्यों की पुष्टि आवश्यक होगी, ताकि निर्दोष व्यक्तियों को गलत तरीके से न फंसाया जाए। पुलिस आयुक्त ने थाना प्रभारियों को प्रतिदिन सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक जनता से सीधे संवाद और जनसुनवाई करने का भी निर्देश दिया है। FIR के लिए प्राप्त सभी सूचनाओं पर अनिवार्य रूप से पंजीकरण किया जाएगा, चाहे वह जीरो FIR ही क्यों न हो। उत्कोच (घूस) लेने की किसी भी सूचना पर त्वरित और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं क्रॉस तहरीर की स्थिति में डीसीपी स्तर से जांच के बाद ही एफआईआर दर्ज की जाएगी।