एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन

गुलावठी बुलंदशहर। राजनीति विज्ञान विभाग, देवनगरी महाविद्यालय गुलावठी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के अवसर पर ‘गांधीवाद: समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता इंद्रप्रस्थ कॉलेज नई दिल्ली के समाजशास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ जय प्रताप सिंह ने कहा की सामाजिक व्यवस्था तथा ग्रामीण व्यवस्था में गहरा संबंध है परंतु बढ़ते शहरीकरण के कारण सांस्कृतिक अंतराल बढ़ रहा है। महात्मा गांधी का ग्रामीण विकास का दर्शन भारत में ग्रामीण समाज की पुनर्रचना करने से संबंधित है। महात्मा गांधी के अनुसार समाज का प्रत्येक व्यक्ति समान रूप से महत्वपूर्ण तथा गरिमा पूर्ण है तथा व्यक्ति का विकास समाज के दायरे में ही सुनिश्चित किया जा सकता है।


उन्होंने आगे कहा कि हर राजनीतिक व्यवस्था में संवैधानिक व्यवस्था तथा सामाजिक व्यवस्था मौजूद होती है। किसी भी देश में परिवर्तन तथा सतत विकास लाने के लिए संवैधानिक व्यवस्था से अधिक सामाजिक व्यवस्था को माध्यम बनाया जाना चाहिए। बढ़ते शहरीकरण के कारण परिवार एकाकी हो गए हैं, अपार्टमेंट संस्कृति के बढ़ने के कारण पड़ोस की अवधारणा समाप्त हो गई है, सोशल मीडिया के आने से मित्रगण आभासी हो गए हैं तथा शिक्षा के व्यवसायीकरण के कारण सामाजिक सरोकारों का ह्रास हुआ है। इस तरह से सामाजीकरण की प्रक्रिया कमजोर पड़ी है। उन्होंने कहा कि गांधीवादी दर्शन को छोड़ने का मतलब है ग्रामीण संरचना को बर्बाद कर देना और ग्रामीण संरचना को आघात पहुंचाने का मतलब है भारतीयता के विचार को नष्ट कर देना। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की की समाज में रहकर सहभागी अनुसंधान के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाने का प्रयास करें। यह गांधीवाद के अनुरूप है तथा महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
कार्यक्रम के अध्यक्षता तथा स्वागत उद्बोधन देते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर योगेश कुमार त्यागी ने कहा की गांधी न केवल भारत के अपितु विश्व के सबसे बड़े समकालीन महानायक हैं।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ पुष्पेंद्र कुमार मिश्र ने कार्यक्रम के रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि ग्रामीण विकास ही वास्तव में धारणीय विकास की का केंद्र बिंदु है। वैश्विक तापन जैसी समस्याओें से निबटने के लिए गांधीवादी दर्शन को अपनाया जाना समय की मांग है।
वेबीनार का सार संक्षेप सह संयोजक पीयूष त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ संदीप कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर डॉ अमित भूषण द्विवेदी, डॉ महेंद्र कुमार, डॉ विनय कुमार सिंह, हरिदत्त शर्मा, नरेश कुमार, डॉ हरीश कुमार कसाना, कृष्ण कुमार तथा अन्य विद्यार्थी मौजूद रहे।