
गुलावठी – देवनागरी महाविद्यालय, गुलावठी तथा शासकीय तुलसी महाविद्यालय, अनूपपुर के मध्य समझौता ज्ञापन के अंतर्गत एक एकदिवसीय संघीय बजट 2025-26 पर राष्ट्रीय पैनल परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का स्वागत वक्तव्य देते हुए शासकीय तुलसी महाविद्यालय, अनूपपुर के प्रचार प्रो0 अनिल कुमार सक्सेना ने कहा की कार्यक्रम तकनीकी भाषा से इतर बजट के पहलुओं को सरल भाषा में समझाएगा। देवनागरी महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर योगेश कुमार त्यागी ने आयोजकों की सराहना करते हुए कहा की दोनों महाविद्यालयों के मध्य समझौता ज्ञापन की श्रृंखला प्रत्येक वर्ष बिना व्यवधान के आयोजित की जा रही है। पहले पैनलिस्ट गांधी स्मारक शताब्दी महाविद्यालय, कोयलासा, आजमगढ़ के अर्थशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मनमोहन लाल विश्वकर्मा ने बताया कि बजट में कोरोना कल की नकारात्मक वृद्धि को सकारात्मक स्तर से ले जाकर 2047 तक भारत को विकसित बनाने का रोड मैप तैयार किया गया है, जिसमें आय बढ़ाने के साथ रोजगार तथा मांग बढ़ाने पर बजट का फोकस किया गया है। कृषि के मामले में फोकस करते हुए दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता, फलों, सब्जियों और मत्स्य पालन पर जोर, कृषि उत्पादकता तथा विविधीकरण पर जोर, कपास उत्पादन नामरूप में यूरिया संयंत्र लगाने, किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने, मखाना बोर्ड की स्थापना करने तथा दालों की गारंटीड खरीद पर जोर दिया गया है। इसके अतिरिक्त बजट में अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं की स्थापना, आईआईटी तथा मेडिकल की सीटें बढ़ाने तथा आर्थिक समृद्धि के हिसाब से निवेश को सही दिशा देने की बात की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित अर्थव्यवस्था की स्थापना की जाएगी। आने वाले सालों में सरकार का फोकस इसी दिशा में होना चाहिए। दूसरे पैनलिस्ट मडियाहूं डिग्री कॉलेज, मडियाहूं, जौनपुर के अर्थशास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विवेक मिश्र ने कहा कि ज्ञान अर्थव्यवस्था में महिलाओं के लिए और भी अधिक प्रावधान तथा धन आवंटन की आवश्यकता है। उन्होंने दलहन की उच्च उत्पादकता की फसलों पर जोर बढ़ाने तथा दलों में प्रोटीन कंटेंट बढ़ाने के बारे में राष्ट्रीय मिशन को सकारात्मक पहल बताया। उन्होंने कहा कि मध्यम तथा लघु उद्योगों में क्रेडिट गारंटी बढ़ाने का फायदा मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को मिलेगा। रोजगारपरक औद्योगिक वृद्धि के लिए चमड़ा उद्योग तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग जैसे श्रम सघन उद्योगों पर फोकस करना जरूरी है। डॉ मिश्र ने यह भी कहा की अमेरिका में ट्रंप की जीत से विश्व व्यापार में मुक्त व्यापार से संरक्षणवाद की ओर जोर बड़ा है। इसके लिए नई रणनीतियों पर फोकस करना होगा। तीसरे पैनलिस्ट बैंक ऑफ़ बड़ौदा, कोलकाता के चीफ मैनेजर नीरज कुमार हिमांशु ने बताया कि इस बजट को बैलेंस बजट कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा को दोगुना करने पर किसानों को फायदा मिलेगा। सूक्ष्म तथा लघु उद्योग औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों ही सेक्टर में काम कर रहे हैं। इन उद्योगों की मुख्य चुनौती यह है की अनौपचारिक क्षेत्र को औपचारिक क्षेत्र में कैसे लाया जाए? समावेशी विकास के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के साथ ही सेवा क्षेत्र पर फोकस करना होगा। वित्तीय घाटे को 4% के दायरे में रखा जाना एक बेहतर कदम है। इसके लिए राज्यों की भी सहायता ली जानी चाहिए। विश्व व्यापार में भारतीय अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी अभी दो प्रतिशत है जिसे बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए निर्यात तथा विदेशी मुद्रा का भंडार बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके पूर्व कार्यक्रम में कार्यक्रम के संचालक डॉ पुष्पेंद्र कुमार मिश्रा ने बजट से संबंधित तकनीकी शब्दावली को सभी के समक्ष रखा। कार्यक्रम के मॉडरेटर पीयूष त्रिपाठी रहे। संयोजक डॉ अमित भूषण द्विवेदी ने बताया कि कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश के कई महाविद्यालयों के 80 से अधिक छात्रों तथा 15 से अधिक प्राध्यापकों ने सहभागिता की। अतिथियों का परिचय डॉ अनूप कुमार सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ संदीप कुमार सिंह ने किया। डॉ सुनील कुमार त्रिपाठी, डॉ ज्ञानेंद्र सिंह तथा डॉ विनय कुमार सिंह ने आमंत्रित टिप्पणियां दीं। मानसी दीपू तथा आशीष दुबे ने विशेषज्ञों से सवाल पूछे।