
उत्तर प्रदेश के मेरठ में है भारत का तीसरा सबसे बड़ा मां बगलामुखी धाम।
आज जाने मेरठ में स्थापित मां बगलामुखी मंदिर का रहस्य कहा जाता है की सम्पूर्ण विश्व में मां बगलामुखी के साधक और मंदिर नाम मात्र के ही है और मां साधक अपनी पूजा अर्चना अनुष्ठान के निमित्त स्वयं ही तय करती है।
मेरठ में तंत्रउक्त विधि से होती है मां बगलामुखी धूमावती छिन्मस्तिका तारा राजराजेश्वरी श्री त्रिपुरा सुंदरी महाकाली मां चामुंडा की पूजा जिनकी पूजा हवन अनुष्ठान से किसी भी प्रकार का संकट कट जाता है,
कहां जाता है हिंदुस्तान में दो जगह प्राचिन शक्तिपीठ है। मां बगलामुखी का एक मंदिर कांगड़ा हिमाचल और दूसरा मंदिर दतिया नलखेड़ा उज्जैन के पास है इन दोनो मंदिरों में ही हवन होता है मां बगलामुखी धूमावती हवन से प्रसन्न होती है, मां को भोग लगाने की परम्परा है जिससे हवन के माध्यम से बहुत उर्जा प्राप्त होती है और आपका कार्य बन जाता है, कहा जाता है मां बगलामुखी हवन से ही प्रसन्न होती है, इसी क्रम में एक मंदिर मेरठ में है जहां प्रतिदिन मां बगलामुखी धूमावती दस महा विद्या के निमित्त हवन किया जाता है, यहां योनी कुंड कामरुप कामाख्या स्वरुप नज़र आता है। जिसमें अनेकों जड़ी बूटियों अनेक तरह की सामग्री इस्तमाल की जाती है, मेरठ के इस मां बगलामुखी धाम में बड़े-बड़े नेता अभिनेता आम जन श्रद्धालु भक्त उपासक आते रहते हैं, मां बगलामुखी से मुकदमा कोर्ट कचहरी से विजय प्राप्त हो जाता है हर जगह जय विजय प्राप्त होती है समाज में यश मान-सम्मान बढ़ता है हर इच्छा प्राप्त होती है साथ ही मंदिर में लगे अष्टविनायक के विषय में कहा जाता है जब व्यक्ति किसी कारण से लिए गए उधार से मुक्त ना हो पा रहा हो तो यहां बुधवार को गणेश जी को सिंदूर में देसी घी लगाकर दूर्वा, लड्डू चढ़ाने से किसी भी प्रकार का उधार उतर जाता है, अगर जन्मपत्री में दो शादी योग, मांगलिक दोष, शादी में आ रही कुछ परेशानियों का कारण है तो निश्चित ही उद्धार हो जाता है। मांगलिक दोष निवारण हेतु शालिग्राम शिला से शादी के लिए केले का पेड़ से शादी विधिवत रूप से की जाती है जिसका वरदान देते हैं, वेंकटेश तिरुपति बालाजी जो मंदिर में प्राण प्रतिष्ठित हैं साथ में उनकी दो पत्नी भी नजर आती है, मां भू देवी, श्री देवी विराजमान नजर आती हैं, कहा जाता है संतान ना हो रही हो तो यहां आचार्य जी आपको विष्णु के निमित्त एक मानते पुस्तक हरिवंश पुराण संतान गोपाल यंत्र अभिमंत्रित कर दिया जाता है जो आपको संतान प्राप्ति कराता है जिससे कि आपकी संतान अपने पित्रों का उद्धार कर सकते है, आपकी जन्मपत्री में कितना भी कष्ट हो तो यहां नजर आएंगे विराट विग्रह पंचमुखी हनुमान जिस तरह श्री राम के कष्ट काटे आपके कष्ट दूर करने के लिए हनुमान जी की पंचमुखी प्रतिमा प्रतिष्ठित है, यहां विराजमान भगवान शिव पांच स्वरूप में प्रतिष्ठित नजर आते हैं, पत्नी और गणेश, कार्तिकेय संग। पद्मासन में भैरव और शनि महाराज उपस्थित हैं, महाकाली के चरणों में ओंकारेश्वर नर्मदेश्वर शंभू शिवलिंग स्वरूप इस शिवलिंग पर नजर आते हैं, भगवान शिव का तीसरा नेत्र और जनेऊ धारण भगवान शिव यहां ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों का प्रमुख अवतार भगवान दत्तात्रेय जिन्हे तंत्र मंत्र का संपूर्ण ज्ञान था वह भी प्रतिष्ठित है। श्री यंत्र के सम्मुख नवग्रह केस रुप में नौ शिव लिंग जो जन्मपत्री के किसी भी कष्ट को काटने के काम आते हैं, यही प्राण प्रतिष्ठित है कलयुग के देश श्याम सुंदर प्रभु खाटू श्याम जी महाराज। इन सभी बातों को देखकर यहां आध्यात्मिकता अत्यधिक महसूस होती है, यहां आते ही आपको एक अलग तरह की ऊर्जा का अनुभव होगा, अगर आप यहां सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं पूजा करते हैं हवन कराते हैं तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है ऐसा हमारा विश्वास है इस मंदिर में आपको बहुत विशेष अनुभूति होती है जिससे आपका मन प्रफुल्लित हो जाता है यहां मंदिर में जितने भी भंडारे होते हैं उसके लिए या मंदिर प्रांगण में किसी और विकास कार्य के लिए भी दक्षिणा नहीं मांगी जाती यह मंदिर आचार्य जी ने अपने गुरु के संकल्प से बनाया है उन्होंने कभी जीवन में किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया यह मानिए भगवती अपने भक्तों को किसी के आगे हाथ नहीं पसारने देती। यहां हर वक्त हवन के अलावा समय समय पर भंडारे का भी आयोजन होता रहता है जिसकी व्यवस्था संकल्प मां भगवती स्वयं करती है।