जमीयत उलेमा-ए-हिंद के केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल का दौरा


● सरकार संविधान प्रदत्त अधिकार छीनने से बाज आए – जमीयत


नई दिल्ली : जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने महासचिव मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में देहरादून का दौरा किया और उत्तराखंड में बंद किए गए मदरसों की स्थिति का जायजा लिया प्रतिनिधिमंडल ने प्रभावित मदरसों के ज़िम्मेदारों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं और कानूनी पहलुओं को समझने का प्रयास किया। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने देहरादून में मदरसा अनवरिया हयातुल उलूम और मदरसा अबू बकर सिद्दीक़, छोटा भारूवाला का दौरा किया, जो पूरी तरह सील हैं और जिनके मुख्य द्वारों पर सरकारी ताले लगे हुए हैं। मदरसों के ज़िम्मेदारों ने प्रतिनिधिमंडल को अपनी समस्याओं से अवगत कराया। इसी बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रतिनिधियों ने मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष से भी मुलाकात की और पूरी स्थिति को समझने का प्रयास किया। प्रतिनिधिमंडल ने मदरसों के ज़िम्मेदारों को आश्वासन दिया कि जमीयत हरसंभव कानूनी और संवैधानिक माध्यमों से उनके अधिकारों की रक्षा करेगी। प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर जोर दिया कि मदरसों के शैक्षिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद इस विषय पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिसके आधार पर जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी के निर्देशानुसार आगामी कार्ययोजना तय की जाएगी। प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख मौलाना मोहम्मद हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि धार्मिक मदरसों को भारतीय संविधान की धाराओं के तहत पूर्ण सुरक्षा प्राप्त है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में बाल अधिकार आयोग के अध्यक्ष के खिलाफ दायर याचिका पर अंतरिम रोक लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि किसी भी धार्मिक मदरसे को बंद नहीं किया जाए। इसके बावजूद उत्तराखंड में मामूली बहानों के आधार पर मदरसों पर ताले लगाना चिंता का विषय है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इस मामले में मदरसों के ज़िम्मेदारों को कोई लिखित नोटिस भी नहीं दिया गया। उन्होंने आगे कहा कि सरकारों का कर्तव्य कानून लागू करना होता है, न कि लोगों को परेशान करना और उनके अधिकारों का हनन करना। इसलिए उत्तराखंड सरकार को इस कदम से पीछे हटना चाहिए। इस प्रतिनिधिमंडल में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के केंद्रीय कार्यालय से महासचिव के अलावा मौलाना मुफ्ती जाकिर हुसैन कासमी, हाफिज महमूद और स्थानीय इकाई से मौलाना नसीबुद्दीन (अध्यक्ष, जमीयत उलेमा देहरादून), मौलाना गुलशेर अहमद (उपाध्यक्ष), खज़ांची प्रधान अब्दुल रज़्ज़ाक, मौलाना सुुफियान, मौलाना अब्दुल कुद्दूस, कारी अबुल फज़ल, मौलाना तसलीम, मुफ्ती खुशनूद, मास्टर अब्दुल सत्तार, हाफिज फरमान, कारी साजिद आदि शामिल थे।