
नई दिल्ली। हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी तहज़ीब और सूफी परंपरा की झलक एक बार फिर देखने को मिली जब हज़रत अमीर खुसरो रहमतुल्लाह अलैह के 721 वें उर्स मुबारक के मौके पर दरगाह हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के प्रांगण में एक विशाल और रूहानी माहौल कायम हुआ। यह अवसर न केवल एक धार्मिक आयोजन रहा, बल्कि भाईचारे, मेल-जोल और सौहार्द का भी प्रतीक बना। इस पावन मौके पर देशभर के विभिन्न राज्यों से ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में जायरीन दरगाह शरीफ पहुंचे और हज़रत अमीर खुसरो की बारगाह में हाजिरी दी। हर धर्म, जाति और समुदाय के लोगों ने पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ उर्स मुबारक में शिरकत की और अपनी मन्नतें मांगी। दरगाह हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के चीफ़ इंचार्ज सैयद काशिफ अली निज़ामी ने बताया कि बीते वर्षों की तरह इस बार भी उर्स में देश-विदेश से आने वाले जायरीन की मौजूदगी ने यह साबित कर दिया कि सूफी संतों की मोहब्बत और इंसानियत की तालीम आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा है। उन्होंने बताया कि हज़रत अमीर खुसरो, हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के खास शागिर्द थे और उनका उर्स भी उतनी ही अकीदत के साथ मनाया जाता है। इस मौके पर फ़ेस ग्रुप के चेयरमैन डॉ. मुश्ताक अंसारी ने कहा कि उर्स के दौरान जो आपसी एकता और सौहार्द का माहौल देखने को मिलता है, वह नफरत फैलाने वाली ताकतों के लिए करारा जवाब है। हर साल की तरह इस साल भी सभी धर्मों के लोगों ने दरगाह पहुंचकर देश में अमन-शांति और तरक्की के लिए दुआएं मांगीं। दरगाह कमेटी की तरफ़ से सभी जायरीन के लिए लंगर की विशेष व्यवस्था की गई थी। उर्स के दौरान हर वर्ग और समुदाय के लोग मिल-जुल कर एक ही दस्तरख़्वान पर बैठे, जो इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि सूफी परंपरा ने हमेशा इंसानियत को ऊपर रखा है। इस मौके पर दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन ज़ाकिर ख़ान, पूर्व लोकसभा प्रत्याशी व बीएसपी नेता चौधरी वक़ार, सीनियर जर्नलिस्ट मुस्तक़ीम ख़ान, कांग्रेस नेता अलीम अंसारी, शिरोमणि अकाली दल दिल्ली विंग के उपाध्यक्ष अमनजीत सिंह, मोहम्मद इलियास, फ़ेस ग्रुप के मैनेजर डॉ. बिलाल अंसारी, नौशाद बेगम, शाकिर अंसारी, जावेद सिद्दीकी, नूर मौहम्मद राजा, चौधरी मुमताज़ अली चिश्ती, मौहम्मद एहसान, मोहम्मद आबिद, सोशल एक्टिविस्ट ग़यासुद्दीन सोलंकी, डॉक्टर रेहाना समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।