सुषमा रानी। देशभर में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े छोटे कारोबारियों और सिंगल मोटर मालिकों की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। इसके चलते हजारों परिवार भूखमरी की कगार पर आ खड़े हुए हैं। इस विकट स्थिति को देखते हुए, देश के छोटे ट्रांसपोर्टर्स और सिंगल मोटर मालिकों के संगठन दिल्ली एनसीआर ट्रांसपोर्ट एकता मंच के महासचिव श्याम सुन्दर ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्य रूप से हम तीन प्रमुख मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे है। प्रेस वार्ता में दिल्ली एनसीआर ट्रांसपोर्ट एकता मंच के अध्यक्ष हरीश ग्रोवर, सचिव दिनकर सिंह, कोषाध्यक्ष वेदप्रकाश एवं एडवोकेट डॉ चंद्रा राजन, एडवोकेट चरणजीत सिंह, डीसी कपिल आदि पदाधिकारी मौजूद रहे।
श्याम सुंदर ने कहा कि पहला, छोटे ट्रांसपोर्टर्स की प्रमुख समस्याओं में टोल टैक्स एक बड़ी चुनौती बन गया है। संगठन की मांग है कि देशभर में टोल टैक्स की दरों को कम से कम 30% घटाया जाए। इसके अलावा, उन टोल प्लाजाओं की जांच की जाए, जिन्होंने अपनी लागत वसूल कर ली है। ऐसे टोल प्लाजा तुरंत बंद किए जाने चाहिए। इससे छोटे ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों पर आर्थिक बोझ कम होगा और उनका व्यवसाय पुनर्जीवित हो सकेगा। दूसरा बड़ा मुद्दा देशभर में ऑनलाइन चालान की प्रक्रिया से जुड़ा है। श्याम सुंदर ने बताया कि संगठन का मानना है कि ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ द्वारा चलती गाड़ियों की फोटो खींचकर और टोल प्लाजाओं से जानकारी लेकर जो चालान किया जाता है, वह छोटे ट्रांसपोर्टर्स के लिए अत्यधिक बोझ साबित हो रहा है। उनका कहना है कि चालान प्रक्रिया में सुधार किया जाए और चालान केवल तब हो जब मौके पर ड्राइवर मौजूद हो। इससे व्यवसायियों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी। और तीसरी प्रमुख मांग पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों से संबंधित है। देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें समान होनी चाहिए, ताकि ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों पर अलग-अलग राज्यों में भिन्न दरों का अतिरिक्त भार न पड़े। इसके अलावा, पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में 30% की कटौती की जाए, ताकि व्यवसायियों को कुछ राहत मिल सके और वे अपने कारोबार को सुचारु रूप से चला सकें।
उपरोक्त मुद्दों को लेकर दिल्ली एनसीआर ट्रांसपोर्ट एकता मंच द्वारा ट्रांसपोर्ट सेक्टर में व्याप्त संकट और समस्याओं को लेकर एक विशेष अपील-पत्र राष्ट्रपति महोदया और संबंधित सरकारों के समक्ष पहले ही प्रस्तुत किया जा चुका है। प्रेस वार्ता के जरिये भारत सरकार और राज्य सरकारों से तत्काल इन तीन बिंदुओं पर गंभीरतापूर्वक विचार करने और उचित कदम उठाने की मांग की गई। संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि सरकारें इन मांगों को शीघ्रता से नहीं मानतीं, तो दो महीने बाद देशव्यापी आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। यह आंदोलन न सिर्फ ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों के लिए होगा, बल्कि देश के हर उस व्यक्ति के लिए भी महत्वपूर्ण होगा, जो किसी न किसी रूप में वाहनों का इस्तेमाल करता है।