हमारी पहली प्राथमिकता दिल्ली में आम आदमी पार्टी को मजबूत करना और संगठन का विस्तार करना है- सौरभ भारद्वाज




नई दिल्ली – आम आदमी पार्टी ने बड़ा फैसला लेते हुए दिल्ली और पंजाब समेत छह राज्यों में अपने संगठन में बड़ा बदलाव किया है। शुक्रवार को ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में हुई पालिटिकल अफेयर्स कमेटी (पीएसी) की बैठक में इन बदलावों पर मुहर लगी। इसके मुताबिक, वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया को पंजाब, राष्ट्रीय महासचिव संगठन डॉ. संदीप पाठक को छत्तीसगढ़, गोपाल राय को गुजरात और पंकज गुप्ता को गोवा का प्रभारी बनाया गया है। साथ ही इन राज्यों में नए सह प्रभारी भी नियुक्त किए गए हैं। डॉ. संदीप पाठक को छत्तीसगढ़ का विशेष प्रभारी का अतिरिक्त प्रभार मिला। वह राष्ट्रीय महासचिव संगठन भी बने रहेंगे। इसके अलावा, वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज को दिल्ली और मेहराज मलिक को जम्मू एवं कश्मीर का अध्यक्ष बनाया गया है। अरविंद केजरीवाल ने नई जिम्मेदारियां मिलने पर सभी को शुभकामनाएं दी है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) और राज्यसभा सांसद डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि आज आम आदमी पार्टी की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (पीएसी) की बैठक हुई। बैठक में कई सारे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान पार्टी के विस्तार और संगठन के प्रारूप पर चर्चा की गई। बैठक में चार राज्यों के प्रभारी की नियुक्ति को मंजूरी दी गई है और दो राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को मंजूरी मिली है। डॉ. संदीप पाठक ने बताया कि पंजाब में मनीष सिसोदिया प्रभारी होंगे और सत्येंद्र जैन सह प्रभारी होंगे। पीएसी ने मुझे राष्ट्रीय महासचिव के अलावा एक स्पेशल इंचार्ज के रूप में छत्तीसगढ़ के प्रभार की जिम्मेदारी दी है। गुजरात में गोपाल राय प्रभारी होंगे और दुर्गेश पाठक सह प्रभारी होंगे। इसी तरह, गोवा में पंकज गुप्ता प्रभारी और अंकुश नारंग, आभाष चंदेला व दीपक सिंगला सह प्रभारी होंगे। इसके अलावा, सौरभ भारद्वाज को दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया हैं। जबकि जम्मू एवं कश्मीर में मेहराज मलिक को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। पिछले तीन साल में पंजाब की ‘‘आप’’ सरकार ने बहुत शानदार काम किया है- मनीष सिसोदिया मनीष सिसोदिया ने एक्स पर कहा कि पंजाब के प्रभारी के रूप में काम करने की ज़िम्मेदारी दिए जाने पर मैं अरविंद केजरीवाल और पार्टी नेतृत्व का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। पंजाब की जनता का स्नेह और विश्वास मेरी प्रेरणा है। पिछले तीन वर्षों में किए गए कार्यों के परिणाम अब वहां स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे हैं और हम आत्मविश्वास से भरे बदलता पंजाब को देख रहे हैं। अब समय है इस परिवर्तन को रॉकेट गति देने का। मेरा प्रयास रहेगा कि ‘‘आप’’ के सभी नेता, कार्यकर्ता और भगवंत मान जी के नेतृत्व में सरकार मिलकर पंजाब के लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करें और उनके विश्वास पर खरा उतरें। हार के बाद जो पार्टी के साथ खड़ा रहता है, वह खरा सोना होता है- सौरभ भारद्वाज वहीं, सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली प्रदेश संयोजक की जिम्मेदारी देने और भरोसा जताने के लिए राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत पीएसी के सदस्यों का धन्यवाद करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी को और मजबूत करेंगे। मेरा मानना यह है कि हारने के बाद संगठन निर्माण करना सबसे आसान होता है। क्योंकि जीत के बाद तो कई लोग आपके साथ आ जाते हैं, लेकिन हार के बाद जो पार्टी के साथ रहता है, वह खरा सोना होता है। आज जो पार्टी के साथ खड़ा है और संघर्ष करने के लिए लड़ेगा, वह खरा सोना है और उनके साथ पार्टी को दोबारा महबूत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एमसीडी मेयर चुनाव के सवाल पर कहा कि मेरा मानना है कि आम आदमी पार्टी की अवधारणा को कुछ दिनों तक चुनाव से अलग करके देखने की जरूरत है। सौरभ भारद्वाज ने अधिकारियों द्वारा विधायकों के फोन नहीं उठाने के मुद्दे पर कहा कि आम आदमी पार्टी दिल्ली के विधायकों और सरकार के साथ खड़ी है। चाहे वह विधायक भाजपा के हों या आम आदमी पार्टी के हों। प्रवेश वर्मा हमारे गांव के ग्रामीण भाई हैं। मैं भी गांव से आता हूं और वह भी गांव से आते हैं। बतौर पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा जब दौरा करने जाते हैं तो उनके साथ पीडब्ल्यू सेक्रेटरी को नहीं दिखते हैं। उनके साथ विशेष सचिव और उप सचिव भी नहीं दिखते हैं। मुझे इस बात का कष्ट होता है। मुझे लगता है कि चुनी हुई सरकार को पूरी इज्जत मिलनी चाहिए। पिछले 10 साल में भाजपा ने लोकतंत्र को कमजोर करने का काम किया है, उसको अब पलटने की जरूरत है। लोकतंत्र को मजबूत कीजिए। लोकशाही ऊपर है और बाबूशाही नीचे है। इसमें हम अपने छोटे स्वार्थ नहीं देखेंगे कि आज भाजपा की सरकार है तो हम कहेंगे कि बाबूओं की चलनी चाहिए। चुनी हुई सरकार की चलनी चाहिए। हम आज भी अपने उस सिद्धांत पर खड़े हैं। क्योंकि यह मामला सिद्धांत का है। हम इनके साथ हैं। दो-दो लाख लोगों से चुने हुए विधायक हैं। अफसरों को विधायकों की सुननी पड़ेगी। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है।

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