नई दिल्ली। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने केंद्र सरकार द्वारा आयुर्वेद के स्नातकोत्तर छात्रों को सामान्य सर्जरी की अनुमति देने को लेकर विरोध जताया। दरअसल, आयुर्वेद के छात्रों को पढ़ाई के दौरान सर्जरी को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
आईएमए ने आयुर्वेद शिक्षा के संशोधन नियमों की अधिसूचना को वापस लेने की मांग करते हुए कहा है कि शल्य तंत्र (सामान्य सर्जरी) नाम के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। शल्य तंत्र और शालाक्य तंत्र के अंतर्गत आधुनिक चिकित्सा सर्जिकल प्रक्रियाओं की एक लंबी सूची को शामिल किया गया है।
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर राजन शर्मा ने बताया कि आयुष मंत्रालय ने एक स्पष्टीकरण जारी कर दावा किया है कि तकनीकी शर्तें और आधुनिक विकास मानव जाति की सामान्य विरासत हैं। आईएमए इस स्पष्टीकरण को अस्वीकार करता है क्योंकि यह चिकित्सा प्रणालियों को मिलाने का एक भ्रामक छलावरण है। यह चिकित्सा शिक्षा और व्यवहार के मिश्रण पर एक कठोर प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है। सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन संशोधनों को अलग दृष्टिकोण के साथ नहीं देखा जा सकता है। आईएमए के महासचिव डॉक्टर आरवी अशोकन का कहना है कि चिकित्सा की सभी प्रणालियों को मिश्रित करने के प्रयास में मरीजों से चिकित्सा प्रणाली के चुनाव का अधिकार छीना जा रहा है। भारतीय चिकित्सा प्रणाली की प्रामाणिकता को बरकरार रखने के लिए गहरी प्रतिबद्धता के आयुष मंत्रालय के सभी दावे खोखले हैं।