सुषमा रानी। सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन के संस्थापक श्री उदय महुरकर ने नेटफ्लिक्स, ALTT और X (पूर्व में ट्विटर) के खिलाफ यौन स्पष्ट सामग्री प्रसारित करने के आरोप में कानूनी कार्यवाही शुरू की है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, माहूरकर ने गेम्स ऑफ बॉलीवुड के संस्थापक संजीव नेवर और सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल के साथ मिलकर इस सामग्री से उत्पन्न बढ़ते खतरों पर चर्चा की।
माहूरकर ने कहा, “दिल्ली पुलिस ने नेटफ्लिक्स, ALTT और X के खिलाफ मेरी शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया, जबकि मुंबई पुलिस ने एकता कपूर और शोभा कपूर के खिलाफ पीओसीएसओ अधिनियम का उल्लंघन करने वाली सामग्री के लिए एफआईआर दर्ज की। शिकायत में जीतेन्द्र कपूर, शोभा कपूर, और एकता आर. कपूर का नाम शामिल है क्योंकि वे ALTT के प्रमोटर हैं।” उन्होंने आगे कहा, “स्पष्ट सबूतों के बावजूद पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने के कारण मुझे न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।”
महुरकर ने इन प्लेटफॉर्म्स की आलोचना करते हुए कहा कि इन पर अश्लील और हानिकारक सामग्री खुलकर उपलब्ध है। X पर हार्डकोर पोर्नोग्राफी, नग्नता, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से जुड़ी यौन गतिविधि और जानवरों के साथ यौन क्रिया के वीडियो तक उपलब्ध हैं। ALTT पर अनाचार और दुर्व्यवहार से जुड़े ग्राफिक दृश्य हैं, जो महिलाओं की छवि को नीचा दिखाते
हैं। नेटफ्लिक्स भी ऐसे पोर्नोग्राफिक दृश्य स्ट्रीम कर रहा है, जो भारतीय कानूनों का उल्लंघन करते हैं। माहूरकर ने कहा, “यह सामग्री न केवल नैतिक मुद्दा है, बल्कि यौन हिंसा को भड़का रही है और समाज के ताने-बाने को नष्ट कर रही है। यह बलात्कार के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण है।”
उन्होंने बताया कि यौन विकृत सामग्री और पोर्नोग्राफी से नाबालिगों द्वारा बलात्कार जैसे घृणित अपराध सामने आ रहे हैं। पिछले तीन महीनों में सात मामले भाइयों द्वारा बहनों के बलात्कार, दो मामले पिता द्वारा पुत्री के बलात्कार, और एक व्यक्ति द्वारा अपनी मां के साथ बलात्कार के दर्ज किए गए हैं, जिनका संबंध पोर्नोग्राफी देखने से है।
फाउंडेशन का कानूनी और नैतिक रुख फाउंडेशन का तर्क है कि ये प्लेटफॉर्म बाल यौन शोषण संरक्षण अधिनियम (POCSO) 2012, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (2000), महिलाओं के अशोभनीय चित्रण (निषेध) अधिनियम (1986), और भारतीय न्याय संहिता (BNS) का उल्लंघन कर रहे हैं।
वकील विनीत जिंदल ने कहा, “इस तरह की सामग्री के सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होने से बलात्कार, छेड़छाड़ और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों जैसे अपराधों को बढ़ावा मिलता है। यह युवा और वृद्ध दोनों की मानसिकता को दूषित करता है और एक विषाक्त संस्कृति पैदा करता है, जो हिंसा को बढ़ावा देती है और मानवीय व्यवहार को विकृत करती है। तत्काल कानूनी हस्तक्षेप की आवश्यकता है ताकि यह समस्या और न बढ़े।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारे कानून समाज के मूल्यों की रक्षा और महिलाओं व बच्चों की गरिमा सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन नेटफ्लिक्स, ALTT और X जैसे प्लेटफॉर्म इन कानूनी प्रावधानों की अनदेखी कर रहे हैं।”
जन सुनवाई और कानूनी सुधार की मांग
महुरकर ने बताया कि सितंबर 2024 में फाउंडेशन ने एक जन सुनवाई का आयोजन किया, जिसमें 100 से अधिक पीड़ित और उनके परिवार यौन हिंसा की शिकायत
लेकर आए। 200 से अधिक महिलाओं ने गवाही दी कि उनकी दुर्दशा का कारण इन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध अश्लील सामग्री रही है।
संजीव नेवर ने कहा, “हम देख रहे हैं कि मनोरंजन के नाम पर हमारी सांस्कृतिक मूल्य समाप्त हो रहे हैं। इस तरह की सामग्री न केवल व्यक्तियों बल्कि पूरे समाज के लिए हानिकारक है।”
उन्होंने कहा कि बॉलीवुड भी देश में स्थानीय पोर्न उद्योग को बढ़ावा दे रहा है। फाउंडेशन की रिपोर्ट्स में लिंक और तारीखों के साथ यह दिखाया गया है कि कैसे ये प्लेटफॉर्म, जिन्हें अब बच्चे भी आसानी से देख सकते हैं, खुलेआम अश्लील सामग्री प्रसारित कर रहे हैं। न्यूरोसाइंस अनुसंधान यह स्पष्ट करता है कि ऐसी सामग्री मस्तिष्क की कार्यक्षमता को स्थायी रूप से नष्ट कर रही है।
पूरी तरह से प्रतिबंध और सख्त कानूनों की मांग
सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन ने अश्लील सामग्री का उत्पादन और प्रसारण करने वाले सभी प्लेटफॉर्म्स पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग की है। फाउंडेशन ने सरकार से सख्त कानून लाने का अनुरोध किया है, जिसमें 10-20 साल की सजा और कम से कम तीन साल तक जमानत न देने का प्रावधान हो। माहूरकर ने कहा, “इस तरह की सामग्री से होने वाला नुकसान किसी भी विदेशी आक्रमण से अधिक है। अगर हम इस पर सख्त कार्रवाई नहीं करते, तो हम अपनी सांस्कृतिक पहचान खो देंगे।”
विनीत जिंदल ने कहा, “ऐसे कानूनों की आवश्यकता है, जो न केवल उत्पादकों बल्कि वितरकों को भी हतोत्साहित करें। अगर हमें एक सुरक्षित और सम्मानजनक समाज बनाना है, तो शून्य-सहिष्णुता नीति ही एकमात्र उपाय है।”
जन समर्थन और फाउंडेशन की प्रतिबद्धता
सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन को लाखों भारतीयों का समर्थन मिला है, जो अश्लील सामग्री को समाप्त करने के इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। माहूरकर ने फाउंडेशन की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि वह जन भागीदारी, कानूनी कार्रवाई, और नीति सुधार के
माध्यम से इस उद्देश्य को आगे बढ़ाते रहेंगे।
उन्होंने कहा, “आज की यह घटना रचनाकारों और वितरकों को जवाबदेह ठहराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब समय आ गया है कि ये प्लेटफॉर्म अपने प्रभाव के लिए जिम्मेदार ठहराए जाएं। या तो वे कानून का पालन करें या कानूनी परिणामों का सामना करें।”
• उदय महुरकर ने यौन सामग्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने और 10-20 साल की सजा तथा कम से कम तीन साल तक जमानत न देने वाले कड़े कानूनों की मांग की।
• पीओसीएसओ अधिनियम, आईटी अधिनियम, महिलाओं के अशोभनीय चित्रण (निषेध) अधिनियम, और भारतीय न्याय संहिता (BNS) के उल्लंघनों का हवाला दिया गया।
• सेव कल्चर सेव भारत फाउंडेशन ने चेतावनी दी कि अनियंत्रित यौन सामग्री 2047 तक भारत के एक महान राष्ट्र बनने के लक्ष्य को बाधित कर सकती है।