नई दिल्ली। हमारा प्रमुख संस्थान भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) कोविड-19 के वैक्सीन के परीक्षण के काम में जुटा है। भारत भी सभी प्रमुख वैक्सीन कैंडिडेट के नैदानिक परीक्षण करवा रहा है। भारत में लगभग 30 वैक्सीन विकास के विभिन्न चरणों में हैं। इनमें से दो अति उन्नत चरण में हैं- आईसीएमआर बायोटेक के सहयोग से विकसित किया जा रहा को-वैक्सीन और भारतीय सीरम इंस्टीट्यूट का कोविशील्ड। यह संस्थान विश्व का सबसे बड़ा वैक्सीन विनिर्माता है और यह ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित वैक्सीन का परीक्षण करवा रहा है। दोनों नैदानिक परीक्षण के तीसरे चरण में हैं। हमारी एक बड़ी फार्मा कंपनी डॉ रेड्डी लेबोरेट्रीज अंतिम चरण के मानवीय परीक्षण करने और विनियामक अनुमति मिलने के बाद रूस के वैक्सीन को भारत में वितरित करेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज प्रथम वर्चुअल एससीओ युवा वैज्ञानिक कॉन्कलेव में उद्घाटन भाषण देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि इस कॉन्कलेव का मुख्य उद्देश्य शंघाई सहयोग संगठन के प्रखर युवा चिंतन को एक साझा मंच पर लाना है, ताकि साझा सामाजिक चुनौतियों को अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से हल करने में उनके ज्ञान का इस्तेमाल किया जा सके।
डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि भारत में कोविड-19 की कार्रवाई के अंतर्गत अपनी महत्वपूर्ण वैज्ञानिक क्षमता का उपयोग किया है। स्वदेशी वैक्सीन के विकास को लेकर और पारम्परिक ज्ञान पर आधारित नोवेल प्वाइंट ऑफ केयर निदान संरचना, अनुसंधान संसाधनों की स्थापना, भारतीय अनुसंधान और विकास संगठन, दोनों निजी और सरकारी क्षेत्र, निरंतर अथक प्रयास कर रहे हैं, ताकि महामारी पर काबू पाने के लिए कारगर हस्तक्षेप विकसित किए जा सकें। सरकार की सहयोग की मदद से 100 से अधिक स्टार्टअप ने कोविड-19 के लिए नवाचार, उत्पाद और सॉल्यूशन प्रदान किए हैं। केन्द्रीय मंत्री ने एससीओ के युवा वैज्ञानिकों को विशेष अनुरोध करते हुए कहा कि विश्व और मानव कल्याण के लिए उन्हें आगे बढ़कर मिलकर वर्तमान कोरोना महामारी समेत सामाजिक चुनौतियों के लिए सॉल्यूशन विकसित करने चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी एक परीक्षा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसने यह दिखा दिया है कि बहुपक्षीय सहयोग वैश्विक चुनौतियों पर काबू पाने के लिए महत्वपूर्ण है।
डॉ. हर्ष वर्धन ने बताया कि भारत सरकार ने कोविड-19 वैक्सीन अनुसंधान के लिए 12 करोड़ अमरीकी डॉलर मूल्य के अनुदान की घोषणा की है। यह कोविड सुरक्षा मिशन के लिए प्रदान किया गया है और इसका इस्तेमाल केवल इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नवाचार, उत्पादन और समृद्धि बढ़ाने का महत्वपूर्ण साधन है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत स्टार्टअप और नवाचार का बड़ा केन्द्र बनकर उभरा है। भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने आशावादी और लीक से हटकर सोच से यह साबित कर दिया है। उन्होंने यह भी बताया कि विज्ञान की चुनौतिपूर्ण क्षेत्रों में युवा प्रतिभा को अवसर और नेतृत्व देने से पांच विशेष अनुसंधान प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। प्रत्येक प्रयोगशाला विज्ञान के एक विशेष क्षेत्र- केन्द्रीय बुद्धिमत्ता, मात्रात्मक प्रौद्योगिकी, कोगनिटिव प्रौद्योगिकी, एसिमिटरिक प्रौद्योगिकी और स्मार्ट मेटिरियल में काम कर रही है। इन प्रयोगशालाओं में निदेशक समेत सभी व्यक्ति 35 वर्ष से कम आयु के हैं। डॉ. हर्ष वर्धन ने स्मरण कराया कि 10 नवंबर, 2020 को हाल ही में संपन्न एससीओ देशों के प्रमुखों की शिखर बैठक में स्टार्टअप के क्षेत्र में समृद्ध अनुभव साझा करने के लिए एक नवाचार और स्टार्टअप पर एक विशेष कार्यबल गठित किया था। हमने पारम्परिक दवाओं पर भी कार्यबल के गठन का प्रस्ताव किया है, ताकि पारम्परिक और पुरतन ज्ञान को एससीओ देशों तक पहुंचाया जा सके।एससीओ की वृद्धि विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार की सफलता पर निर्भर करती है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने सभी युवा वैज्ञानिकों को बधाई दी जिन्हें भारत द्वारा आयोजित प्रथम एससीओ युवा वैज्ञानिक कॉन्कलेव में भाग लेने के लिए नामित किया गया है। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विदेश मंत्रालय को कॉन्कलेव के आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि युवा वैज्ञानिकों का लक्ष्य नवाचार, पेटेंट, उत्पाद होना चाहिए। इन कदमों से हमारे देश तीव्र गति की ओर अग्रसर होंगे। शंघाई सहयोग संगठन के महासचिव श्री व्लादीमिर नोरोव, भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद के निदेशक डॉ. एस. चंद्रशेखर, विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) श्री विकास स्वरूप, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव श्री आशुतोष शर्मा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग संभाग के प्रमुख श्री संजीव कुमार वार्ष्णेय, एससीओ सदस्य देशों के युवा वैज्ञानिक, वरिष्ठ विशेषज्ञ और एससीओ सदस्य देशों के प्रवर्तक, एससीओ सदस्य देशों के वैज्ञानिक मंत्रालय के प्रतिनिधि, भारतीय राजदूतावास और मिशन के प्रमुख, एससीओ देशों के विज्ञान परामर्शदाताओं ने वर्चुअल रूप से कॉन्कलेव में भाग लिया।