नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली में पिछले चार दिनों से लागातार कोविड के मामलों में बढ़ौतरी के कारण प्रतिदिन 100 से अधिक लोगों की मृत्यु हो रहीं है और प्रति 10 मिनट में औसतन एक व्यक्ति की मृत्यु हो रही है। यह आंकड़े डरावने होने के साथ-साथ अरविन्द सरकार की पोल भी खोल रहे है कि कोविड-19 के 8 महीने के समय में दिल्ली सरकार कोरोना पर नियंत्रण पाने में पूरी तरह से विफल साबित हुई और अरविन्द सरकार ने दिल्ली को तहस-नहस कर दिया है। आज दिल्ली में कोविड संक्रमितों की संख्या साढ़े पांच लाख के लगभग पहुँच गई है और साढे आठ हजार से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। चौ अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन दिल्ली की बिगड़ती हालत की जिम्मेदारी लेते हुए तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे।
प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए चौ अनिल कुमार ने कहा कि देश में प्रतिदिन हो रही पांच कोविड मरीजों की मृत्यु में से एक मृत्यु दिल्ली के मरीज की हो रही है। इतनी बड़ी तादात में हो रही मृत्यु के असली आंकड़ो को सरकार छिपा रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार और उसके स्वास्थ्य मंत्री की असंवेदनशीलता इस बात से साफ जाहिर होती है कि प्रति लाख की आबादी पर कोविड संक्रमितों की राष्ट्रीय औसत से दिल्ली में 4 गुणा अधिक लोग कोविड संक्रमित हो रहे है। राजधानी दिल्ली दुनिया का सबसे संक्रमित शहर बन गया है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग के अनुसार तीसरे कोरोना वेव दिसम्बर तक दिल्ली में प्रतिदिन 15000 कोरोना मामलने आने की संभावना है क्या अरविन्द सरकार ऐसी स्थिति से निपटने में सक्षम है। संवाददाता सम्मेलन में चौ अनिल कुमार के साथ दिल्ली प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष अमृता धवन भी मौजूद थी।
चौ अनिल कुमार ने कोविड टेस्ट बढ़ाने के मामले पर कहा कि श्री राहुल गांधी जी पहले दिन से ही टेस्ट बढ़ाने की बात कहते रहे है, जिसे आज केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार भी मान रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल दोनो ने कोविड टेस्टिंग बढ़ाने पर केवल झूठ बोला है, जबकि सच्चाई तो यह है कि प्रतिदिन जो सरकार टेस्ट कर रही है उसमें आरटी-पीसीआर टेस्ट केवल 40 प्रतिशत के लगभग ही हो रहे है, जबकि कांग्रेस पार्टी ने 11 मई को दिल्ली सरकार को प्रतिदिन 1 लाख टेस्ट करने की मांग की थी और सर्वदलीय बैठक में प्रतिदिन 2 लाख टेस्ट करने का सुझाव दिया और मुख्यमंत्री अरविन्द ने स्वयं भी टेस्ट बढ़ाने की बात को स्वीकारा। चौ अनिल कुमार ने कहा कि 15 नवम्बर को गृहमंत्री ने कोविड टेस्ट बढ़ाने को लेकर बैठक की थी जबकि एक दिन पहले 14 नवम्बर को दिल्ली में केवल 49,645 टेस्ट हुए जिनमें आरटी-पीसीआर टेस्ट केवल 19635 और रेपिड एंटीजेन टेस्ट 30,010 किए गए। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार कोविड नियंत्रण के लिए संवेदनशील नही है, क्योंकि कोविड संक्रमितों के लगातार बढ़ते मामलों के कारण जहां 10,000 टेस्ट प्रति मिलियन प्रतिदिन होने चाहिए उसके मुकाबले केवल 2000 टेस्ट प्रति मिलियन की आबादी पर हो रहे है जबकि दिल्ली में जरुरत के हिसाब से 80 प्रतिशत टेस्ट कम किए जा रहे है। उन्होंने कहा कि सरकार को आरटी-पीसीआर टेस्ट अधिक करने चाहिए। वही दूसरी तरफ दिल्ली सरकार कोविड से होने वाली मौतों की संख्या भी छिपा रही है क्योंकि कोविड से मरने वालों की पिछले 4 दिनों के सरकारी आंकड़े 125-130 मृत्यु के मुकाबले शमशान व कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार करवाने वालों की संख्या अत्यधिक है और लोगों को अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करवाने के लिए बहुत इंतजार करना पड़ रहा है अथवा सिफारिश करवानी पड़ रही है।
चौ अनिल कुमार ने कहा कि अरविन्द सरकार केवल विज्ञापन का रोल मॉडल बनकर रह गई है, मुख्यमंत्री केवल घोषणाएँ करते है और विज्ञापन में अपनी फोटो छपवा कर जनता के करोड़ो रुपये विज्ञापन पर खर्च कर रहे है। चौ अनिल कुमार ने कहा कि अरविन्द सरकार ने 9 अप्रैल को ऑपरेशन शील्ड लॉच किया जिसमें कोविड को पूर्ण तरह से नियंत्रण करने की बात कही, आज ऑपरेशन शील्ड कहीं अता-पता नही है, इसी तरह सेनिटाईजेशन की जापानी मशीनें पूरी दिल्ली को सेनिटाईजेशन के लिए लाई गई थी जिनके साथ मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों ने अपनी फोटो भी खिचवाई परंतु आज जब सेनिटाईजेशन की ज्यादा जरुरत है तो जापानी मशीनें लापता है। प्राईवेट अस्पतालां के साथ होटल और बैंक्वट हॉलों को कोविड मरीजों के लिए उपब्ध कराने की बात भी मुख्यमंत्री अरविन्द और स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन ने बढ़चढ़ कर कही परंतु एक भी मरीज को प्राईवेट अस्पतालों के साथ होटल और बैंक्वट हॉलों में नही रखा गया। मतलब अरविन्द सरकार केवल घोषणाओं और विज्ञापन की सरकार बनकर रह गई, जमीनी स्तर पर कोविड नियंत्रण के लिए कोई काम नही किया। दिल्ली सरकार मौहल्ला क्लीनिकों में इलाज की बात बढ़चढ कर रही है परंतु सच्चाई यह है कि दिल्ली में लगभग सभी मौहल्ला क्लीनिक ठप्प पड़े है, जिसका परिणाम आज दिल्ली में देश के अन्य शहरों के मुकाबले सबसे अधिक मामले सामने आ रहे है। चौ अनिल कुमार ने कहा कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के निकम्मेपन और लॉपरवाही का भुगतान दिल्ली की जनता भुगत रही है। मुख्यमंत्री अरविन्द ने बिना योजना के लॉकडाउन लगाया, राजस्व कमाई के लिए 3 मई को शराब के ठेके खोल दिए, दिवाली से पूर्व पहले व्यापारियों को पटाखों के लाईसेंस जारी करने की घोषणा करने पर लाईसेंस जारी होने के बाद पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी, शादी विवाह उघोग को भी भारी आर्थिक का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि शादी समारोह में 200 की जगह केवल 50 लोगों को शामिल होने के आदेश किए गए। चौ अनिल कुमार ने कहा कि अरविन्द सरकार के गैर नियोजित कार्यक्रमों और घोषणाओं के कारण दिल्ली के व्यापारी वर्ग से लेकर मजदूर वर्ग तक प्रभावित हुआ है।