स्थानीय उद्यमियों और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक


नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जनपथ स्थित नेशनल सेंटर फॉर हेरिटेज टेक्सटाइल (हैंडलूम हाट) में हस्तकला और हथकरघा प्रेमियों के लिए राष्ट्रीय हैंडलूम एक्सपो (गांधी बुनकर मेला) का आयोजन किया गया है। इस एक्सपो में भारतीय हस्तकला और हथकरघा की समृद्ध परंपराओं का भव्य प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदर्शनी में विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत के राज्यों की आंचलिक हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पाद मुख्य आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं। इसका आयोजन नागालैंड हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा केंद्र सरकार के वस्त्र मंत्रालय के विकास आयुक्त के सौजन्य से राष्ट्रीय हैंडलूम विकास कार्यक्रम के तहत किया गया है। यह प्रदर्शनी 6 फरवरी से 19 फरवरी तक प्रतिदिन सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक चलेगी और इसमें प्रवेश निःशुल्क है। इसमें पूर्वोत्तर सहित भारत के 12 राज्यों के 80 स्टॉल लगे हैं। जो अपनी विशिष्टता से आकर्षण के केंद्र बने हुए हैं। प्रदर्शनी में पूर्वोत्तर के राज्यों के अलावा भारत के विभिन्न अंचलों से लाए गए हस्तनिर्मित उत्पादों का अद्वितीय संगम देखा जा सकता है। इसमें शिल्पियों की सृजनशीलता, परिश्रम और सांस्कृतिक धरोहर का प्रभावशाली प्रदर्शन किया गया है। इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय शिल्पकारों को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाना और उनके उत्पादों को व्यापक स्तर पर पहुँचाना है। प्रदर्शनी का औपचारिक उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के हथकरघा के विकास आयुक्त डॉ. एम. बीणा, नागालैंड हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष प्रसीली पिएन्यु और प्रबंध निदेशक इंजीनियर वाई. लिपोंगसे थोंगत्सर समेत तमाम गणमान्य लोग उपस्थित रहे। मुख्य अतिथियों ने पूर्वोत्तर की विशेष हस्तकला की विशिष्टता और उसके सांस्कृतिक महत्व की सराहना की। वस्त्र मंत्रालय के हथकरघा के विकास आयुक्त डॉ. एम. बीणा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय हस्तकला और हथकरघा उद्योग हमारी सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रतीक है और पूर्वोत्तर की विशेष कला ने इसे और संपन्न बनाया है। यह बड़ी खुशी की बात है कि पूर्वोत्तर भारत अब उभर रहा है और दिल्ली में पहचान प्राप्त कर रहा है। पूर्वोत्तर शिल्प के मामले में अत्यंत समृद्ध है। लगभग 60 प्रतिशत बुनकर पूर्वोत्तर से आते हैं। यह उद्योग न केवल लाखों शिल्पियों की आजीविका का आधार है, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। ऐसे आयोजन इस उद्योग को नई ऊर्जा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नागालैंड हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष प्रसीली पिएन्यु ने कहा कि वे नागालैंड के हस्तशिल्प और हथकरघा को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ शिल्पकारों के संवाद, प्रशिक्षण और तकनीक को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। इस तरह के आयोजन छोटे उद्यमों को बड़ा मंच प्रदान करते हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते हैं और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा मिलता है। प्रदर्शनी में मेघालय, मणिपुर, असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, सिक्किम सहित देश के विभिन्न राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और आंध्र प्रदेश से आए कारीगरों ने अपनी कृतियों का प्रदर्शन किया है। बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले और पारंपरिक खाद्य पदार्थों के स्टॉल भी विशेष आकर्षण बने हुए हैं। देशभर के छोटे लघु उद्यमी, कलाकार, बुनकर और एग्रो-आधारित उत्पादों के निर्माता इस प्रदर्शनी में भाग ले रहे हैं। इसमें ऑर्गेनिक उत्पाद, महिला समूहों द्वारा बनाए गए पापड़, अचार, बड़ी (विशेष खेती), हस्तशिल्प और हस्तकरघा के हाथ से बने खूबसूरत उत्पाद प्रदर्शनी सह बिक्री के लिए प्रदर्शित किए गए हैं। मुख्य अतिथि एम. बीणा ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और कारीगरों से संवाद किया। अतिथियों ने कारीगरों की कृतियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और उन्हें प्रोत्साहित किया। यह प्रदर्शनी भारतीय हैंडीक्राफ्ट्स और हैंडलूम्स उद्योग के गौरव का जीवंत प्रतिबिंब है।

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