वैध आव्रजकों के बच्चों को नागरिकता देने के लिए कदम उठा रहे हैं : अमेरिका

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वाशिंगटन। अमेरिका में जो बाइडन प्रशासन वैध आव्रजकों के बच्चों को नागरिकता देने का कानूनी रास्ता निकालने के लिए कदम उठा रहा है। इन बच्चों को उम्र बढ़ने के कारण प्रत्यर्पित करने का डर है।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेक साकी ने बच्चों, खासतौर से भारत के बच्चों के एक वर्ग में इसे लेकर डर पर सवालों का जवाब देते हुए अपने नियमित संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से यह कहा। इन बच्चों को ग्रीन कार्ड के लिए दशकों से हो रहे इंतजार के कारण प्रत्यर्पित किए जाने का डर है।

इनके माता-पिता एच-1बी वीजा पर वैध आव्रजक के तौर पर अमेरिका आए थे। अमेरिकी कानूनों के अनुसार 21 साल की आयु होने के बाद बच्चे अपने माता-पिता पर निर्भर नहीं होते जिसके चलते हजारों भारतीय बच्चों को 21 साल का होने के कारण प्रत्यर्पण का खतरा महसूस हो रहा है।

ऐसे बच्चों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक समूह ‘‘इम्प्रूव द ड्रीम’’ के अनुसार ऐसे बच्चों की संख्या 2,00,000 से अधिक है।

साकी ने कहा, ‘‘जाहिर तौर पर हम यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहे हैं कि नागरिकता देने का कानूनी रास्ता निकाला जाए और खासतौर से उन बच्चों के लिए जो अपने परिवार के सदस्यों के साथ इस देश में आए।’’ व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन का रुख साफ है कि अमेरिका की आव्रजन प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘इसमें वीजा प्रक्रिया में सुधार शामिल है। कांग्रेस को भेजे आव्रजन विधेयक में उनका रुख साफ है। इसमें पिछले आवेदनों पर फैसला कर, इंतजार की लंबी अवधि को कम कर और हर देश का वीजा कोटा बढ़ाकर परिवार आधारित आव्रजन व्यवस्था में सुधार किया गया है। यह विधेयक एच-1बी वीजा धारकों पर निर्भर लोगों को काम करने का अधिकार देता है और बच्चों को युवा होने के बाद इस व्यवस्था से बाहर करने से रोकता है।’’

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