बादशाहपुर (गुरुग्राम)। अखिल भारतीय यादव महासभा के पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ की एक वर्चुअल बैठक हुई। बैठक में सेना में अहीर रेजिमेंट बनाए जाने के लिए जोर-शोर से मुद्दा उठाया गया। अहीरवाल क्षेत्र की अहीर रेजिमेंट के लिए काफी दिनों से मांग चली आ रही है। बैठक में रेजांगला के वीर बलिदानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।
कर्नल (रिटा.) एमएल यादव ने रेजांगला पोस्ट के बारे में बताया कि सैनिक इतिहास की सबसे बड़ी लड़ाई 18 नवंबर, 1962 में रेजांगला (लद्दाख) में लड़ी गई थी। जहां 13 कुमाऊं की सी कंपनी ने अंतिम सांस तक मुकाबला कर 114 अहीर सैनिकों ने अपनी मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। 1200 चीनी सैनिक मारे गए थे। इस युद्ध के बाद चीन ने युद्ध विराम का एलान किया। गुरुग्राम के पालम विहार में रेजांगला मेमोरियल पर हर वर्ष इन बलिदानियों को नमन करने के लिए पुष्पांजलि अर्पित की जाती है।
जनरल (रिटा.) जेबीएस यादव ने कहा कि युवा पीढ़ी को रेजांगला के बारे में विस्तार से ज्ञान देने की जरूरत है। रेजांगला की लड़ाई पर आधारित पाठ्य पुस्तक स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल की जाए। ताकि आने वाली पीढ़ी को रेजांगला में अपनी वीरता दिखाने वाले सैनिकों के बारे में जानकारी मिल सके। इस बैठक में अखिल भारतीय महासभा कार्यकारिणी के सक्रिय सदस्य प्रमोद चौधरी, राजेंद्र यादव, वासुदेवुलु, वाइस एडमिरल (रिटा.) पारसनाथ, राकेश यादव, कमांडर (रिटा.) रोहताश सिंह, ब्रिगेडियर (रिटा.) एसएस खोला, कर्नल (रिटा.) प्रताप सिंह, कर्नल (रिटा.) रोशन लाल यादव, कर्नल (रिटा.)भूप सिंह, कर्नल (रिटा.) अमन सिंह यादव व कर्नल (रिटा.) जगदेव के अलावा सेना के पूर्व अधिकारी शामिल रहे। इस बैठक को आयोजित करने के लिए सभी ने सभा के अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह का धन्यवाद किया। बैठक का संचालन कन्वीनर कर्नल (रिटा.) एमएल यादव ने किया।