लोकसाहित्य अनुसंधान संभावना एवं अपेक्षाएं
लोकसाहित्य लोक संस्कृति एवं लोक रंग किसी भी देश-प्रदेश की धड़कनों के परिचायक होते हैं। लोक मानस सैकड़ों वर्षों के अनुभवों, आचार-व्यवहार की अंतरंग सम्पृक्ति, काल के निकष पर प्रतीति से निर्मित एवं संचालित होता है। लोक कथा हो, लोक गीत हों, लोक गाथाएं हों, कहावतें एवं लोकोक्तियां हों, या लोक रंग के अन्य क्रियाकलाप हों, धार्मिक विश्वास या आस्थाएं हों, सभी लोकसाहित्य की जीती-जागती धाराएं होती हैं। प्रसिद्ध लोक तत्त्व मनीषी जान ड्ंिकवाटर ने तो यह स्वीकार किया…