फारूक की सांसदी निरस्त हो: फिरोज बख्त अहमद, स्वतंत्र लेखक
-फिरोज बख्त अहमद- भारत में इन जघन्य आतंकी हमलों पर फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ़्ती या गुलाम नबी आजाद ने कभी टिप्पणी नहीं की। समस्या फारूक अब्दुल्ला एंड कम्पनी में यह रही कि ये गरीब और अनपढ़ कश्मीरियों के वोट लेकर मुटियाते रहे और बेचारी जनता अंधे कुएं में गिरती रही। यही नहीं, ये गद्दार राजनेता दरिद्र जनता को न केवल सत्ता हथियाने के लिए बतौर वोट बैंक इस्तेमाल करते रहे, बल्कि इनको भारत के विरुद्ध वरगलाते भी रहे। अब…