सावन की बरसात से नदी नालों में इतना ज्यादा पानी भर गया है कि उनके किनारे बसने वाले गांवों में बाढ़ से हालात बनने लगे हैं। प्रदेश में किन्नौर, लाहौल-स्पीति तथा कुल्लू की पहाडि़यों से बहने वाली जलधाराओं ने जान और माल दोनों का नुक़सान किया है। कोरोना की तीसरी लहर के आगमन से सहमे लोगों ने टीकाकरण को तो ज्यादा गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है, पर मास्क पहनने और भीड़ न लगाने में सावधानी बरतना कम कर दिया है। संसद में चल रहे मानसून सत्र के दौरान विपक्ष के नेता ने ट्रैक्टर की सवारी करके कृषि कानून के प्रति विरोध दर्ज कराया है, तो बंगाल की जीत से गदगद ममता ने नजर दिल्ली की कुर्सी पर गढ़ा ली है, तो माहुआ भाषा की मर्यादा लांघ गई है।
इसी बीच पंजाब और कर्नाटक के सियासी फेरबदल से दोनों पार्टियों के युवा नेताओं को उम्मीद की किरण दिखी है। बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री के व्यवसायी पति ने हीरों के व्यापार में अथाह धन, शोहरत और मान तो हासिल किया, पर पैसे की बढ़ती भूख ने उसे युवतियों के नंगे जिस्म की नुमाइश करती फिल्मों के धंधे में उतार कर बदनामी और बेइज्जती की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। ओलंपिक में गए भारतीय दल ने अभी तक उम्मीद के मुताबिक निराश किया है, पर फिर भी कुश्ती, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, निशानेबाजी, तीरंदाजी तथा हॉकी ने उम्मीद जिंदा रखी है। पर शुरुआती दिनों में साइकॉम मीराबाई चानू ने भारोतोलन में चांदी जीतकर मुल्क का नाम रोशन किया है। 26 वर्षीय चानू पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर राज्य की रहने वाली है। ग्रामीण परिवेश में पली-बढ़ी इस युवती ने अपनी उपलब्धि से करोड़ों भारतीयों का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।
जब पूरा देश इस उत्तरी पूर्व राज्य की युवती की उपलब्धि का जश्न मना रहा था तो उसी वक्त उसी क्षेत्र यानी उत्तर पूर्वी राज्यों से दिल को दुखी कर देने वाली एक खबर मिली, जब असम और मिजोरम की प्रांतीय सीमाओं के विवाद को लेकर दोनों राज्यों की पुलिस और नागरिकों के बीच झड़प ने खूनी रंग ले लिया। कछार जिले में सीमा के पास की गई फायरिंग में पुलिस के 6 जवानों की मौत हो गई तथा पुलिस अधीक्षक समेत 50 से ज्यादा कर्मचारी घायल हो गए। इस घटना के बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। दोनों राज्य एक-दूसरे के राज्यों की पुलिस को दोषी ठहरा रहे हैं। स्थिति की गंभीरता को समझते हुए गृह मंत्रालय ने प्रांतीय सीमा की सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय सुरक्षा बल को देने का फैसला लिया है, जबकि असम के मुख्यमंत्री ने इसी संदर्भ में तीन नई कमांडो बटालियन खड़ा करने की घोषणा की है, जिसमें 2000 सैनिकों की भर्ती की जाएगी। मेरा मानना है कि प्रांतीय सीमाओं के विवाद का इस हद तक पहुंचना सरकार एवं प्रशासन की नाकामी है। सरकार को मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए सैन्य ताकत को एक-दूसरे के विरुद्ध इस्तेमाल करने के बजाय आपस में बातचीत करके स्थानीय लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस मसले का हल करना चाहिए। भारत के ही दो राज्यों में जमीन को लेकर इस तरह का विवाद शोभा नहीं देता है। यह बात याद रखी जानी चाहिए कि दो राज्य आपस में भिड़कर हिंसा के जरिए इस मसले को सुलझा नहीं सकते हैं। केंद्र को यह प्रयास करना होगा कि दोनों राज्यों में हिंसा के प्रयोग को वर्जित किया जाए तथा इस मसले को वार्ता के जरिए हल किया जाए।